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शिक्षकों के मृतक आश्रित के टीचर बनने का रास्ता साफ हो गया है। एनसीटीई के मानकों को पूरा करने के लिए सरकार उन्हें बीटीसी का प्रशिक्षण भी करवाएगी।
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पिछले दिनों कुछ मृतक आश्रितों ने इस बात की शिकायत सरकार से की और कोर्ट में भी कुछ लोग गए कि शिक्षक के मृतक आश्रित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनने को मजबूर हैं।
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जब शिक्षा मित्रों को बीटीसी कराके उन्हें शिक्षक बनाया जाता है तो फिर शिक्षकों के मृतक आश्रितों को क्यों नहीं?
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ऐसे करीब 2000 मृतक आश्रित हैं जिनके आवेदन पड़े हुए हैं और वे क्लर्क एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरी नहीं करना चाहते।
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वे सरकार से शिक्षक की नौकरी की मांग कर रहे हैं। भविष्य में भी मृतक आश्रितों के लिए रास्ता साफ हो जाएगा।
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इस प्रस्ताव को जल्दी ही सीएम अखिलेश यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा।
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इस पर खुद सरकार ने पहल की है। बेसिक शिक्षा विभाग से इसका पूरा प्रस्ताव मांगा गया है।
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दरअसल प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए स्नातक के अलावा बीटीसी और टीईटी होना अनिवार्य है। ज्यादातर मृतक आश्रित बीटीसी और टीईटी पास नहीं होते।
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उनके पास यूजी और पीजी की डिग्री होने के बावजूद क्लर्क या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी ही दी जाती है। संकट की स्थिति में वे यही नौकरी करने को मजबूर होते हैं।
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जो शिक्षक बनना चाहते हैं सरकार उनको यह सहूलियत दे सकती है कि बिना इंट्रेंस के वे सीधे बीटीसी में दाखिला पा सकें।
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शिक्षक बनने के लिए उन्हें दो साल का बीटीसी तो करना ही होगा। वहीं टीईटी परीक्षा हर साल होती है। इस दौरान वे कभी भी ये परीक्षा पास कर सकते हैं।
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