उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में शिक्षा के मंदिर को साफ रखने के लिए गुरुजी को कलम थामने के पहले फावड़ा या झाड़ू उठानी पड़ती है। बावन विकासखंड का प्राथमिक विद्यालय बरखेड़ा तो मजह समझाने के लिए है काफी है। ये हाल एक एक विद्यालय नहीं बल्कि पूरे जिले की यही दशा है। इस विद्यालय में स्कूल खोलने के बाद शिक्षक मोहम्मद अली पहले सफाई करते हैं फिर बच्चों को पढ़ाते हैं। गांव में सफाई कर्मी तो है लेकिन कभी सफाई करने नहीं आता। आरोप है कि सफाईकर्मी ग्राम प्रधान की मदद से सिर्फ सरकारी धन वेतन के रूप में ले रहा है इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। लेकिन अगर स्कूल में बच्चे सफाई कर दें तो अध्यापकों पर कार्रवाई जरूर हो जाती है।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरे देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है पर शिक्षा के मंदिर ही इससे अछूते हैं। कहने को तो परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ संसाधनों पर ध्यान दिया जाता रहा है। अधिकारी भी समय-समय पर परीक्षण करते हैं। जिला स्तरीय अधिकारी भी देखने जाते हैं। लेकिन विद्यालयों की समस्या पर कोई ध्यान नहीं देता। नाम मात्र विद्यालयों में अनुचर हैं। बाकी विद्यालयों में तैनाती नहीं है। वैसे तो व्यवस्था के अनुसार गांव में सफाई कर्मचारी तैनात हैं और उन्हें विद्यालयों की सफाई करने का आदेश है। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही और मनमानी से ऐसा नहीं कर रहे हैं।
हर साल समस्या उठती है। अधिकारी कुछ ध्यान देते हैं फिर सब पुरानी पटरी पर आ जाता है। कहने को तो गांव में 1900 से अधिक सफाई कर्मचारी हैं। लेकिन कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश में वह गांव के विद्यालयों में नहीं जाते हैं। गर्मियों की छुट्टियों के बाद विद्यालय खोले तो गंदगी भी है। लेकिन कोई कर्मी झांकने तक नहीं जाता। मंगलवार को बिलग्राम विकासखंड के अध्यापकों में जिस लिए निलंबित कर दिया गया जिसने बच्चों से सफाई कराई। अध्यापकों का कहना है कि सफाई करने वाले जाते नहीं उन पर कोई कारवाई नहीं होती। जिलाधिकारी पुलकित खरे ने विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आदेश दिया था। अध्यापकों का कहना है कि हर साल साफ सफाई की समस्या होती है। अब अगर अधिकारी इस समस्या की तरफ ध्यान दें तो विद्यालयों की दशा सुधर जाए।