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गोंडा: अस्थायी रिंग बाँध कटा, यह पिछले 11 सालों में 8 बार कट चुका है

गोंडा का बाँध कटा

गोंडा का बाँध कटा

नकहरा गांव के पास कटा अस्थाई रिंग बांध. आज सुबह 4 बजे कटा यह अस्थाई बांध. नालों के रास्ते नकहरा गांव में भर रहा है पानी. सिचाई विभाग की बांध बचाने की कोशिश हो रही है नाकाम. भ्रष्टाचारी की भेंट चढ़ा एल्गिन ब्रिज चरसडी बांध. 11 साल में 8वीं बार कटा यह बांध. वर्ष 2007 में किया गया था बांध का निर्माण. 52 किमी एल्गिन ब्रिज चरसडी बांध का निर्माण. पिछले 11 साल में बांध कटने से जा चुकी हैं 94 जानें. खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर घाघरा. हफ्ते भर से चल रही जुगत हुई नाकाम.

कुछ दिन पहले मुआयना करने आये थे कमिश्नर:

बता दें कि यह एल्गिन-चरसड़ी का यह वही अस्थाई रिंग बांध है, जिसे तीन दिन पहले हुए कमिश्नर के दौरे के बाद सिंचाई विभाग के लोग बंबोक्रेट से बचाने में लगे थे।

लेकिन उनकी इंजीनियरिंग टीम घाघरा नदी के तेज बहाव के आगे बेकार साबित हुई और नौबत यहां तक आ चुकी है कि अब-तब बाँध कब कट जाए, कहा नहीं जा सकता।

ऐसी स्थिति में अगर कहीं बांध कटा तो सबसे ज्यादा दिक्कत नकहरा, घरकुईंया, प्रतापपुर, गौरा मांझा जैसी कई ग्राम पंचायतों को होगी। जिसकी कुल आबादी सवा लाख के करीब है।

11 करोड़ खर्च किये गये थे इस बाँध के निर्माण में:

11 साल पहले महज एक करोड़ रुपए की लागत में बनकर तैयार हुआ 52 किलोमीटर लंबा एल्गिन-चरसड़ी बांध अबतक कुल 7 बार कट चुका है।

बंधे के 7 बार कटने से जहां 94 लोगों की जानें गईं तो वहीं लिखापढ़ी में डेढ़ दर्जन जानवर भी बाढ़ की भेंट चढ़ गए। जबकि तहसील क्षेत्र करनैलगंज की सवा लाख आबादी को इसका खामियाजा महीनों तक गांव में हुए जलभराव के चलते भुगतना पड़ा।

वहीं सरकार और सरकार में बैठे लोग सिंचाई विभाग को रिमोट कंट्रोल की तरह आपरेट करते रहे। जिन्होंने बंधे की मरम्मत के नाम पर ऐसा खेल खेला कि बंधे का धंधा लूटतंत्र का फंडा बन गया।

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