उत्तर प्रदेश में मृदा परीक्षण के लिए चयनित एजेंसी के टेंडर में बड़े घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। मृदा परीक्षण के लिए स्वाइल हेल्थ कार्ड के आउटसोर्सिंग के लिए टेंडर चयन में अनियमितता के आरोप में दो संयुक्त कृषि निदेशकों सहित कृषि विभाग के नौ अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा चार फर्मों को ब्लैक लिस्टेड करते हुए उनके खिलाफ एफआईआर के आदेश भी कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दिए हैं। एक फर्म से भुगतान की गई रकम की वसूली भी होगी। कंपनियों में मेसर्स एस सलूशन, मेसर्स सतीश अग्रवाल, मेसर्स सिद्धि विनायक और मैसर्स सरस्वती के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। इसके साथ ही अब यह कंपनियां विभाग में काम नहीं कर सकेंगी, जिन कंपनियों का पैसा रिलीज कर दिया गया था। उनसे वसूली करने के निर्देश दिए गए हैं और जिनका पैसा अभी तक रिलीज नहीं हुआ था। उसे रोक दिया गया है। अब उनका भुगतान नहीं होगा।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]इन अधिकारियों को किया गया निलंबित[/penci_blockquote]
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि सस्पेंड हुए अफसरों में दो संयुक्त निदेशक स्तर के हैं, जबकि पांच अधिकारी उप निदेशक और दो सहायक निदेशक स्तर के हैं।सस्पेंड होने वाले अधिकारियों में कृषि निदेशालय में संयुक्त कृषि निदेशक (शोध एवं मृदा सर्वेक्षण) पंकज त्रिपाठी, बरेली के उप कृषि निदेशक विनोद कुमार, मुरादाबाद के उप कृषि निदेशक डॉ़ अशोक कुमार, संयुक्त कृषि निदेशक अलीगढ़ जुगेंद्र सिंह राठौर, सहारनपुर के उप कृषि निदेशक राजीव कुमार, झांसी के उप कृषि निदेशक राम प्रताप, मेरठ के उप कृषि निदेशक सुरेश चंद्र चौधरी, उप कृषि निदेशक/प्रभारी श्रीदेव शर्मा (सहायक निदेशक, मृदा परीक्षण/कल्चर, अलीगढ़) और बरेली के सहायक निदेशक (मृदा परीक्षण/कल्चर) संजीव कुमार शामिल हैं। उप निदेशक स्तर के सभी अफसर अपने-अपने मंडलों की निविदा समिति के अध्यक्ष भी थे। इसके अलावा मेसर्स यश सलूशंस, मेसर्स सिद्धि विनायक, मेसर्स सतीश कुमार अग्रवाल और मेसर्स सरस्वती सेल्स को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। ब्लैक लिस्टेड की गई फर्मों पर फर्जी दस्तावेज लगाने और विभागीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर टेंडर हासिल करने का आरोप है। साल 2018-19 में बरेली में एस. सलूशंस को भुगतान किए गए 7.14 करोड़ रुपये वसूलने के आदेश भी दिए गए हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]2018-19 के लिए किए गए थे टेंडर [/penci_blockquote]
मिट्टी की जांच के लिए 2017-18 और 2018-19 के लिए टेंडर किए गए थे। जांच रिपोर्ट के अनुसार यश सलूशंस और आस्ट्रे सिस्टम प्रा. लिमिटेड को काम दिया गया। फर्मों को काम देने में तमाम अनियमितताएं पाई गईं। इसके अलावा तीन फर्जी कंपनियों ने भी अलग-अलग जिलों में टेंडर के लिए हिस्सा लिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा काम हथियाया जा सके। कृषि विभाग के अफसरों ने इसमें कंपनियों की मदद की। कृषि मंत्री ने बताया कि 2018-19 में हुए टेंडरों की जांच के आधार पर यह कार्रवाई की गई है। 2017-18 के टेंडरों की जांच भी की जा रही है। कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार के आदेश पर सितंबर 2018 में हुई जांच में 36 अफसरों को इस तरह के फर्जीवाड़े का दोषी बताया गया था। रिपोर्ट मिलने के बाद संयुक्त निदेशक पंकज त्रिपाठी को तत्काल हटाने और भविष्य में कोई भी महत्वपूर्ण काम न दिए जाने के आदेश प्रभात कुमार ने दिए थे।
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