उत्तर प्रदेश के कानपुर के व्यापारी विक्रम कोठारी रोटोमैक ग्लोबल नाम की कम्पनी चलाता है, जिसके लिए उसने विभिन्न बैंकों से पांच हजार करोड़ लोन लिया था। कोठारी की कम्पनी द्वारा अब तक लोन की भरपाई नहीं की गई है। जिसके बाद बैंको ने कम्पनी का नोटिस जारी किया है। बैंको के नोटिस जारी करने के बाद से ही वह गायब चल रहा है। आशंका जताई जा रही है कि वह देश छोड़कर फरार होने की फिराक में है। उधर आरबीआई ने इलाहाबाद बैंक को नोटिस भेजा है। मुम्बई से आए अफसरों ने बैंकों में छापा डाला है जिसमें बैंक द्वारा कोठारी की कम्पनी को दिए गए लोन की जांच पड़ताल की जा रही है।
पेन और स्टेशनरी प्रोडक्ट बनाती है कम्पनी
विक्रम कोठारी द्वारा रोटोमैक ग्लोबल नाम से कम्पनी चलाया जाता है जिसमें पेन और स्टेशनरी से संबधित प्रोडक्ट तैयार किया जाता है। जिसके लिए उसने विभिन्न बैंकों से 5 हजार करोड़ रूपये लोन लिया गया था। बैंक के अफसरों और कोठारी की मिलीभगत से इतना बड़ा लोन दे दिया गया जिसमें बैंक द्वारा बिना किसी जरूरी कागजात की मांग की गई। बैंक से लोन लेकर फरार होने के फिराक में बैठे कोठारी के उपर बैंक ने एनपीए की कार्रवाई की है।
क्या है एनपीए ?
सरल शब्दों में कहें तो जब बैंक किसी व्यक्ति को लोन देती है तो कभी-कभी ऐसा होता है कि लोन लेना वाला इंसान बैंक को रेगुलर पेमेन्ट नहीं कर पाता है तो फिर बैंक उसे एक नोटिस भेजती है जिसमें उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिए जाने को कहती है। फिर भी वह आदमी पेमेन्ट नहीं करता है तो बैंक उस लोन को Non-Performing Asset (NPA) (=Bad Loan) करार देती है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि भारत में वर्तमान में 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा एनपीए है।
इन पांच बैंकों ने दिए लोन
यूपी में 5 हजार करोड़ का बैंकिंग घोटाला में देश की पांच प्रमुख बैकों ने लोन दिया था। बैंकों ने इतना बड़ा लोन बिना किसी जरूरी दस्तावेजों के दे दिए थे। इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक एवं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने बिना किसी जरूरी दस्तावेजों को लिए व्यापारी विक्रम कोठारी को 5 हजार करोड़ का लोन दे दिया था। अब इन बैंकों का पैसा डूबने के कागार पर है। विक्रम कोठारी देश छोड़कर भाग सकता है।