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SC ST Act में सरकार का नहीं था हस्तक्षेप, फिर भी मचाया गया तांडव: संजीव बालियान

The government didn't intervene in SC ST Act, yet they create the violence

मुजफ्फरनगर में आज हुई हिंसक घटना के बाद भाजपा के सांसद और सभी विधायक सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस पर पहुंचे। जहां सभी आला अधिकारियों से मुलाकात की और घटना के बारे में जानकारी ली। वहीं हिंसक घटनाओं पर बीजेपी सांसद संजीव बालियान ने कहा कि बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और जिस तरीके के शांतिपूर्ण प्रदर्शन की हमें उम्मीद थी, फिर चाहे कोई भी बात हो सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था और सरकार का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं था। न कोई मतलब है इस बात से उसके बावजूद जिस तरीके से तांडव मचाया गया। मुजफ्फरनगर शहर में उसमें सख्त कार्यवाही होगी। काफी लोग गिरफ्तार हुए है और प्रशासन को कह दिया गया है की जो भी लोग हो चिन्हित करके जो भी लोग हो सख्त कार्यवाही हो और जो मुख्य लोग है उनपर रासुका की कार्यवाही हो जिस तरह से शहर को बंधक बनाया गया और कानून व्यवस्था धवस्त हुई है।

पुलिस कर रही उपद्रवियों की गिरफ़्तारी

सुप्रीम कोर्ट एस सी एसटी एक्ट में संशोधन के आदेश के खिलाफ कल हुए उपद्रव में दलितों द्वारा किये गए भारी तोड़फोड़ आगजनी और गोलीबारी के बाद हरकत में आई पुलिस कार्रवाई में अब तक मुज़फ्फरनगर पुलिस द्वारा 125 लोगों को कल में हिरासत में लिया गया था। रात्रि में भी वीडियो में देखकर उपद्रवियों की गिरफ़्तारी चलती रही। एसएसपी मुज़फ्फरनगर ने बताया कि लगभग 50 चिन्हित लोगों की रात में गिरफ़्तारी की है और आज दिन भर में भी यही कार्रवाई चलती रहेगी इस कार्रवाही के लिए भारी संख्या में पुलिस बल पीएसी बल और आरएएफ एक कंपनी लगाई गई है।

पुलिस का सहयोग करे जनता: डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर

डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार ने बताया कि एससी-एसटी एक्ट में हुए बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलितों का भारत बंद सोमवार को कई जगहों पर हिंसक रूप से देखने को मिला। यूपी के लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, सहारनपुर, हापुड़, आजमगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, शाहजहांपुर, बरेली, गाजियाबाद और आगरा समेत लगभग सभी जिलों में हालात काबू में हैं। जिन जगहों पर हालात काबू करने में दिक्कत हो रही थी उन जिलों में पुलिस को जनता के बीच तालमेल बनाए के लिए पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए गए हैं।

ये है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। कोर्ट ने कहा था कि केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम ज़मानत भी मिल सकती है।

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