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फसल उजड़ने से बर्बादी का दंश झेल रहे किसानों ने लगा दी 700 हेक्टेयर में तार की बाड़

फसल उजड़ने से बर्बादी का दंश झेल रहे किसानों ने लगा दी 700 हेक्टेयर में तार की बाड़

एक तरफ यूपी में ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्र तक की जनता आवारा घूम रहे पशुओं से परेशान दिख रही है। वही दूसरी तरफ इस समस्या से निजत पाने के लिए एक गाँव में देखने को मिली एकता की मिशाल। वहां के लोगो ने संगठित होकर एकजुटता के साथ एक स्कीम बनाई जिसमे सभी ने सयुक्त होकर सभी के सहयोग से एक धन राशी एकत्रित की। फिर उसी से अपने खेतों में बाड बना कर एक बड़ी मिशाल पेश की विधिवत जानकारी के अनुसार पशुओं के आतंक से बेहाल हो रहे गांव कुंडौल के किसानों ने मिसाल पेश की है। रोजाना फसल उजड़ने से बर्बादी का संकट झेल रहे गांव के 500 किसान एकजुट हुए और सात सौ हेक्टेयर में तार की बाड़  कर डाली। फसल बचाने के लिए पौष की सर्दी में खुले आसमान के नीचे दिन-रात आंखों में काट रहे किसान खेतों की मेड़ों से हिल नहीं पा रहे हैं।

700 हेक्टेयर खेतों पर लगाई गई कटीले तारों की बाड़

किसानो के अनुसार पशुओं के आतंक को रोकने के लिए किसान हर संभव प्रयास कर रहे हैं। रतजगा अब भी जारी है। गांव के 700 हेक्टेयर खेतों पर कटीले तारों की बाड़ लगाई जा चुकी है। आसपास खेत वाले किसानों ने आपस में चंदा इकट्ठा किया है। कुछ किसानों ने पैसा उधार लेकर फेंसिंग कराई है। अब वे किसान चिंतित हैं, जिनके पास रुपये नहीं हैं।

जा रही है किसानो की मेहनत जाया

किसानों ने बताया कि आवारा पशुओं को रोकने के लिए कंटीले तार को पोल या डंडे में बांधकर बाड़ लगा रहे हैं। तार काफी कसकर बांध रहे हैं, जिससे पशु टकराकर वापस लौट जाते हैं। 80 से 90 रुपये प्रति किलोग्राम तार बाजार में मिल रहा है। तार बांधने को चार से पांच फुट के डंडे खरीदने पड़ रहे हैं। इसमें बहुत मेहनत करनी पड़ रही है।

 

आखिर क्यों नही बन रही इस पर कोई कानून या कोई योजना

गोवंश पर कोई विशेष कानून या योजना नहीं हैं, जिससे किसानों को राहत मिल सके। लोकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत अधिकारियों द्वारा नष्ट फसलों को देखने के लिए खेतों का निरीक्षण तक नहीं किया गया है। बुधवार को किसान दिवस में आवारा पशुओं को लेकर किसान काफी हंगामा भी कर चुके हैं।

प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर बने एक गोशाला 

ग्रामीण किसानों  ने बताया कि कुंडोल न्याय पंचायत स्तर पर एक गोशाला का निर्माण हो जाए तो किसानों को काफी राहत मिलेगी। अभी तक पशुओं ने किसानों की काफी फसलें नष्ट कर दी हैं। बचाव के लिए ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर एक करोड़ रुपये से अधिक के लोहे के तार से खेतों की फेंसिंग कराई है।

भूखा रहने के कारण पशु के शरीर में सक्रिय हो जाते है हिंसक हार्मोंस

पशु पालन विशेषज्ञ द्वारा बताया गया  कि आवारा पशुओं की भूख शांत नहीं हो रही है। गांव-गांव प्रत्येक आदमी उन्हें दौड़ा रहा है। इससे पशु के शरीर में हिंसक हार्मोंस सक्रिय होते हैं। पशु उत्तेजित होकर जानलेवा साबित हो जाता है। सांड़ों का बधियाकरण और गाय को संतुलित पोषण की वर्तमान में दरकार है। इससे किसान की परेशानी और पशुओं का आतंक समाप्त हो सकता है।

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