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बरेली लोकसभा सीट से ये है सपा उम्मीदवार के प्रबल दावेदार

The strongest candidate of SP on Bareilly Lok Sabha seat

The strongest candidate of SP on Bareilly Lok Sabha seat

बरेली लोकसभा सीट से ये है सपा उम्मीदवार के प्रबल दावेदार

लोकसभा 2019 के चुनाव में सपा और बसपा गठबंधन ने चुनावी सीट लिस्ट जारी कर अपने दम खम हेतु चुनाव मैदान में उतर चुके है। गठबंधन के बाद भी बरेली लोकसभा सीट पर इन दोनों दलों की राह आसान नहीं दिख रही है। क्यूंकि बरेली लोकसभा सीट भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाती है जिसके चलते यहां पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी एक बार भी जीत नहीं दर्ज कर सकी है। इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा सात बार भाजपा ने जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस ने यहां पर छह, भारतीय जनसंघ ने दो और भारतीय लोकदल ने एक बार इस सीट पर अपना परचम फहराया है। सूत्रों के अनुसार इस बार लोकसभा 2019 चुनाव के लिए बरेली की सीट से पूर्व मंत्री भगवतशरण गंगवार की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है

पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में 5 में से 1 सीट पर सपा ने किया था कब्जा

2014 में प्रचंड मोदी लहर का असर बरेली मंडल की लोकसभा सीटों पर भी देखने को मिला था। भाजपा ने यहाँ पर पांच लोकसभा सीट में से चार पर अपना कब्जा जमाया था जबकि बदायूं की सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी। बदायूं से अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए थे।

सपा की तरफ से लड़ने वाले प्रत्याशियों में लाइन में लगे है ये प्रत्याशी

बदायूं से सांसद धर्मेंद्र यादव का लड़ना तय माना जा रहा है। पूर्व मंत्री भगवतशरण गंगवार व आयशा इस्लाम भी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं उन्हें पार्टी पीलीभीत या बरेली लोकसभा से चुनाव मैदान में उतार सकती है।

आइये जाने क्या है बरेली के राजनैतिक समीकरण

आजादी के बाद हुए लोकसभा चुनावों में बरेली लोकसभा सीट का आकार बदलता रहा है। शुरुआती तीन चुनाव तक पूरा जिला एक लोकसभा सीट था। वर्ष 1967 में आंवला एक अलग लोकसभा क्षेत्र बना और जिले की तीन विधानसभा बरेली से हटा कर आंवला में जोड़ दी गई। बरेली के हिस्से में शहर, कैंट, कांवर(अब मीरगंज), नवाबगंज और भोजीपुरा क्षेत्र शामिल हुए।

सबसे ज्यादा बार इस सीट से अभी तक जीती बीजेपी

लेकिन 1962 और 1967 के चुनाव में यहां कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और भारतीय जनसंघ ने यहां जीत दर्ज की। हालांकि, उसके बाद हुए तीन चुनाव में से दो बार कांग्रेस चुनाव जीती।

आइये जाने क्या है बरेली के जातीय समीकरण

बरेली लोकसभा सीट पर वैश्य, दलित और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व रहा है। 2014 लोकसभा चुनाव में यहां कुल 16 लाख से अधिक मतदाता थे, इनमें करीब 9 लाख पुरुष और 7.5 लाख महिला मतदाता हैं। बरेली जिले में मुस्लिम जनसंख्या की तादाद भी बड़ी संख्या में है।  अगर बात करें बरेली लोकसभा की तो इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 16 लाख है जिसमे मुस्लिम मतदाताओं की संख्या साढ़े चार लाख से भी ज्यादा है जबकि इस सीट पर 1.75 लाख दलित मतदाता भी है। यहां पर कुर्मी मतदाता भी साढ़े तीन लाख है जोकि संतोष गंगवार की असली ताकत है।

रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी

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