समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बनने के बाद से पार्टी में दो धड़े बन चुके हैं। इसका साफ़ नजारा बीते 2 चुनावों में देखने को मिला है। कई मौकों पर समाजवादी पार्टी में चल रही कलह पार्टी से बाहर सड़क पर दिखाई देने लगती है। इसी क्रम में एक बार फिर से सपा की रार चुनाव के दौरान दिखाई दी है जिस पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यवाई की पूरी तैयारी कर ली है।
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सपा नेताओं ने की बगावत :
सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशेष अनुमति याचिका खारिज होने के बाद बांदा में जिला पंचायत अध्यक्ष निर्मला सिंह की कुर्सी जानी की संभावना बढ़ गयी है। इस खबर के बाद से जहाँ भाजपा वालें खुशियाँ मना रहे हैं तो वहीँ सपा में अंदरूनी घमासान फिर से तेज हो गया है। इस रार को खत्म करने के लिए सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल स्वयं गये थे मगर उनकी कोशिशों के बाद भी खुद सपा के कई जिला पंचायत सदस्यों में अपनी पार्टी की अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया है।
इस तरह भाजपा का अध्यक्ष पद पर कब्ज़ा करना आसान हो गया है। सपा से बगावत करने वाले जिला पंचायत सदस्यों में तीन पर कार्यवाई किये जाने की चर्चाएँ हो रहे है। इस संबंध में सपा के जिला नेतृत्व ने कुछ दिन पहले अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश हाईकमान को भेज दी है। इस मामले पर आख़िरी फैसला अब बस समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेना है।
सुप्रीम कोर्ट से मिला था स्टे :
सपा जिला पंचायत सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के अगले दिन अध्यक्ष निर्मला सिंह अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आईं। इसके 13 दिन बाद हुई सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में याचिका खारिज हो गई। याचिका खारिज होने से भाजपाई खुशियां मना रहे हैं। इस तरह नया अध्यक्ष भाजपा खेमे का होने का रास्ता साफ़ होता दिख रहा है। सपा ने बागी नेताओं पर कार्यवाई की तैयारी कर ली है। सूत्र बताते हैं कि सपा के तीन जिला पंचायत सदस्यों के नाम आए नेतृत्व को मिले हैं जिन पर बहुत जल्द कार्यवाई की जायेगी।