लखनऊ। भाजपा विधायकों को व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर धमकाने के मामले में अब तक एसटीएफ के हाथ कोई ठोस सुराग नहीं लग पाया है। अलबत्ता इस मामले में प्रोफेशनल हैकर्स का हाथ होने की संभावना जताए जाने के बाद से जांच एजेंसियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। गुरुवार को इस बात का खुलासा हुआ कि कुछ विधायकों को अमेरिका और जर्मनी के आईपी एड्रेस से भी मैसेज भेजे गए थे।
प्रोफेशनल हैकर्स का हो सकता है काम
जांच अधिकारी यह मान रहे हैं कि इस मामले में प्रोफेशनल हैकर्स का काम हो सकता है। जो कि सॉफ्टवेयर की मदद से ‘आईपी मास्किंग के जरिए यह मैसेज भेज रहे हैं। ऐसे में उन्हें ट्रेस करने के लिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों की मदद पर ही निर्भर होना पड़ रहा है। आईपी मास्किंग से उलझी जांच नया मोड़ तब आ गया, जब तकनीकी पड़ताल में ‘आईपी मास्किंग का इस्तेमाल होने की बात उजागर हुई। यानि मैसेज भेजने वाला शख्स सॉफ्टवेयर की मदद से असल आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस छुपाकर प्रॉक्सी (छद्म) आईपी एड्रेस का इस्तेमाल कर रहा है।
पाकिस्तान के सर्वर से भेजे गए थे मैसेज
ज्यादातर विधायकों को पाकिस्तान के सर्वर से मैसेज भेजे गए थे जिसका आईपी एड्रेस इस्लामाबाद का था। वहीं कुछ विधायकों को अमेरिका के ऑस्टिन शहर के आईपी एड्रेस से मैसेज भेजे गए। इसके अलावा जर्मनी का आईपी एड्रेस भी सामने आया। इससे जांच अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं कि यह काम किसी प्रोफेशनल हैकर या उनके गैंग का है। क्योंकि इतना तकनीकी तानाबाना बुनना किसी आम अपराधी के बस की बात नहीं है। मैसेज भेजने का सिलसिला थमा सूबे के 22 भाजपा विधायकों, दो पूर्व विधायकों और एक नेता को व्हाट्स एप पर मैसेज भेजकर 10 लाख रुपये की रंगदारी मांगी गई थी।
विदेश के सर्वर का हुआ प्रयोग
गुरुवार को किसी भी विधायक द्वारा धमकी भरा मैसेज मिलने की सूचना नहीं दर्ज कराई गई। डीआईजी कानून व्यवस्था प्रवीण कुमार ने बताया कि इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है। गुरुवार को धमकी का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। सॉफ्टवेयर चिन्हित करने की जुगत एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने बताया कि इंटरनेट पर तमाम ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं जिन्हें डाउनलोड करके यह खेल किया जा सकता है। पूर्व में कुछ अपराधियों द्वारा कॉल स्पूफिंग करके शीर्ष नेताओं और अधिकारियों के मोबाइल नंबरों का गलत इस्तेमाल किया था। पर, क्योंकि इनका आईपी एड्रेस भारत का ही था, लिहाजा उन्हें आसानी से गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन, इस मामले में विदेश के सर्वर का प्रयोग हुआ है इसलिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है।
वर्चुअल प्राइवेट नंबर का किया गया इस्तेमाल
एसआईटी यह जानने में लगी है कि विधायकों को वर्चुअल नंबर से व्हाट्स एप मैसेज भेजने वाले शख्स ने किस सॉफ्टेयर का इस्तेमाल किया है। मुख्यमंत्री द्वारा मामले का संज्ञान लेने के बाद डीजीपी ओपी सिंह ने प्रकरण की जांच के लिए आईजी एसटीएफ अमिताभ यश के नेतृत्व में एसआईटी गठित की है। एसआईटी की पड़ताल में सामने आया था कि विधायकों को व्हाट्स एप पर धमकी भरे मैसेज पाकिस्तान के सर्वर से भेजे गए थे। खुद को अली बुद्धेश भाई बताने वाले व्यक्ति ने इसके लिए वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नंबर) +1(903)329-4240 का इस्तेमाल किया था। इसमें पीड़ित व्यक्ति के मोबाइल स्क्रीन पर वहीं नंबर डिस्पले हुआ जो आरोपी चाहता था।