मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश पर जिस कमेटी ने भ्रष्टाचार में बैंक के सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) सुभाष चंद्र के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है, उसे बचाने के लिए भाजपा के तीन विधायक पैरवी करने में जुटे हैं। जांच कमेटी ने सुभाष के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच सक्षम व स्वतंत्र एजेंसी से कराने का सुझाव दिया है। अब निगाहें शनिवार को सहकारी ग्राम्य विकास बैंक बोर्ड की होने वाली बैठक पर टिक गई हैं।
‘चोरी और ऊपर से सीना जोरी।’ यह कहावत सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के मामले में पूरी तरह सटीक बैठ रही है। भाजपा विधायक आशीष कुमार सिंह व करण सिंह पटेल ने आरोपी सुभाष चंद्र को अपना निकट का रिश्तेदार बताते हुए उन पर लगे आरोपों को फर्जी, तथ्यहीन, मनगढ़ंत बताया। साथ ही, सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा से जांच रिपोर्ट को निरस्त करने की सिफारिश भी की है। वहीं, भाजपा के एक अन्य विधायक योगेश वर्मा ने आरोपी अधिकारी को रिश्तेदार तो नहीं बताया, लेकिन भलीभांति जाने का तर्क देते हुए ऐसी ही सिफारिश सहकारिता मंत्री से की। सहकारिता मंत्री ने भी तत्परता दिखाते हुए विधायकों के पत्र का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्रवाई का आग्रह किया है।
विधायक बोले- न्यायसंगत कार्रवाई का आग्रह
मामले पर बिन्दकी विधायक करण सिंह पटेल का कहना है,’मामला पूरी तरह ध्यान में नहीं है। हां! इतना पता है कि सुभाषचंद्र ने जिन अधिकारी-कर्मचारी की जांच कर उन्हें दंडित कराया था, वही लोग अब सुभाष चंद्र की शिकायत कर रहे हैं। मैंने सहकारिता मंत्री को पत्र लिखकर न्यायसंगत कार्यवाई का आग्रह किया है।’ वहीं मल्लावां हरदोई विधायक आशीष कुमार सिंह उर्फ आशू का कहना है, ‘सुभाषचंद्र मेरे रिश्तेदार है। उनका विभागीय विवाद है। कुछ लोगों ने उनके खिलाफ शिकायत दी है। एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं। उसी संबंध में सहकारिता मंत्री जी को पत्र लिखा है।’
सहकारिता मंत्री ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने भी इस मामले में तत्परता दिखाई। तीनों विधायकों ने उन्हें 26 जून को पत्र दिया और मंत्री ने 27 जून को ही उनके पत्र का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्यवाही का आग्रह किया। मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष सचिव नितीश कुमार ने 27 जून को ही अपर मुख्य सचिव सहकारिता को नियमानुसार कार्यवाही की सिफारिश कर दी। हालांकि जांच रिपोर्ट की तकनीकी जटिलता के चलते आरोपी अधिकारी के खिलाफ दी गई शिकायतों को अभी तक खारिज तो नहीं किया जा सका है, लेकिन अधिकारी पर कार्रवाई का मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में है।
बैंक की बोर्ड बैठक पर आज टिकी निगाहें
सूत्रों के अनुसार, सहायक प्रबंधक और उनके मददगार इस कोशिश में जुटे हैं कि किसी तरह से यह मामला शनिवार को यहां होने वाली बोर्ड की बैठक के एजेंडे में ही न आने पाए। देखने वाली बात यह होगी कि बोर्ड की बैठक का इस मामले पर क्या रुख रहता है। सहकारी समिति कर्मचारी सेवानियमावली 1975 के अनुसार प्रबंध समिति (बोर्ड) ही सहकारी संस्थाओं में कर्मचारियों की नियुक्ति प्राधिकारी है। इस नाते प्रबंध समिति को कर्मचारियों पर कार्रवाई का भी अधिकार है। चर्चा है कि सरकार के ठंडे रुख को देखते सहकारी ग्राम विकास बैंक बोर्ड की शनिवार को होने वाली बैठक में यह मामला उठ सकता है। चर्चा का कारण पिछले दिनों बैंक के सभापति शिवपाल सिंह यादव का सुभाष चंद्र से संबंधित पत्रावली का मंगा लेना है।
आरोपी महाप्रबंधक पर तीन आरोप
➡आय से अधिक संपत्ति
➡सेवा नियमों के खिलाफ इंजीनियरिंग कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थाओं में प्रबंधकीय पद धारण करना।
➡सिद्धार्थनगर के नौगढ़ शाखा में कम दूरी को अधिक दिखाकर घपला किया।