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गुटखा स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है, शायद ही इस बाबत कोई अनजान हो, पर इसके बाद न तो जिले में गुटखा के शौकीनों में कोई कमी आई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कूल और अस्पताल के आस पास तम्बाकू, गुटका और सिगरेट बेचने पर रोक लगा दी है।
आजकल पान मसाले की लत 10 से 18 साल के स्कूली बच्चे तक को लग गई है, जो चिंता की बात है।
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सोमवार की डीएम राजशेखर ने गुटका बैन की समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने टबैको कंट्रोल सेल, सीएमओ तथा पुलिस को निर्देश दिए थे कि किसी भी सार्वजनिक स्थल पर तंबाकू और सिगरेट न बिके।
उन्होंने सार्वजनिक स्थलों के 100 गज की परिधि में पान-मसाला, गुटका, सिगरेट आदि पर भी रोक लगाने के लिए कहा था।
उन्होने स्पष्ट निर्देश दिए की 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद न बेचे जाएं।
यह तस्वीरें रामाधीन सिंह इण्टर कॉलेज के बाहर की हैं।
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तम्बाकू उत्पादों में 10.5 प्रतिशत व्यस्क गुटके का इस्तेमाल करते हैं जबकि 13.5 प्रतिशत व्यस्क खैनी का प्रयोग करते हैं। गुटके पर वैट की दर उ.प्र. में 13.5 प्रतिशत है। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण बोर्ड के स्टेट हेड सतीश त्रिपाठी के अनुसार तम्बाकू सेवन से प्रतिदिन 2,200 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। देश में कैंसर से मरने वाले 100 में से 40 मरीज तम्बाकू सेवन करने से मरते हैं।
यह तस्वीर डीएवी कॉलेज के बाहर की है, जहां कॉलेज गेट के ठीक बगल में पान-मसाले की दुकान सजी हुई है।
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