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“एक शाम नारी शक्ति के नाम”, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित हुई मेधावियों की चौपाल!

medhaviyon ki chaupal

राजधानी लखनऊ के इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में सोमवार की शाम आयोजित ‘मेधावियों की चौपाल’ में  प्रदेश के मेधावियों को अपने हौसलों से अपनी पहचान बनाने वाली महिलाओं ने सम्बोधित किया। आईपीएस मंजिल सैनी, पर्वतारोही व आईपीएस ऑफिसर अपर्णा कुमार व पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा ने मेधावियों को सफलता के मंत्र बताएं।

एसएसपी मंजिल सैनी ने बताया सही गलत का फर्कः

एक छात्रा ने लखनऊ एसएसपी मंजिल सैनी से सवाल किया कि कई बार हमारे मन में कुछ नया करने का जोश होता है, जो हमारे हिसाब से सही होता है, लेकिन बाकियों को गलत लगता है, ऐसा क्यों है?

जिसके जवाब में आईपीएस मंजिल सैनी ने छात्रों को अपना अनुभव बताते हुए कहा कि जब मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी उस दौरान डीटीसी की बस से बाकी लड़कियों के साथ सफर करते हुए कई बार मुझे भी लोगों की ईव-टीजिंग का सामना करना पड़ा था कभी-कभी मुझे लगता था कि इन लोगों को पकड़ कर धुन दूं। लेकिन यह भी सोचती थी कि मुझे ऐसी शक्ति मिले जिससे वे जो गलत कर रहे हैं, मैं उन्हें सुधारूं।

उन्होने कहा आज मैं पुलिस अधिकारी हूं और ऐसा करने वालों को सुधार सकती हूं। जो भी आप करना चाहते हैं, उसके लिए सोचें कि वह कितना सकारात्मक है और समाज को क्या योगदान देगा।

रोमांच को बनाया लक्ष्यः

अपने तीसरे प्रयास में एवरेस्ट फतेह करने वाली अपर्णा कुमारी ने छात्रों को अपनी सफलता की दास्तान बताते हुए कहा कि आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान वो हिमालय को देखकर रोमांचित हो उठीं और धीरे-धीरे इस शौक को आगे बढ़ाया। जिसके बाद उन्होंने सातों महाद्वीपों की ऊंची चोटियों को फतह करने का मन बनाया।

आत्मसम्मान के बगैर नहीं जी सकतीः

अपने बुलंद हौसलों से माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली अरुणिमा सिन्हा ने छात्रों से कहा कि ‘जब आप लक्ष्य की ओर अग्रसर होते हैं तो कई मुश्किलें आती हैं। लेकिन एक गोल्डन चांस उन सभी को मिलता है जो जीत के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगाने को तैयार होते हैं।

इस दौरान अरूणिमा ने छात्रों को बताया कि कैसे एक ट्रेन दुर्घटना में उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया लेकिन हार नहीं मानी।

अरूणिमा ने बताया कि जब अस्पताल में लोग उनको सहानभूति की नजरों से देखते थे, तो उन्हें यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। मै अपने आत्मसम्मान के बगैर नहीं जी सकती थी।

उन्होंने कहा कि कई बार लोगों ने उन्हें हतोत्साहित करने का प्रयास किया लेकिन उन्होने कभी हार नहीं मानी। जो ठान लिया उसे करके दिखाया।

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