श्री विंध्य पंडा समाज ने मंदिर की पवित्रता बनाये रखने के लिया एक नया व ऐतिहासिक निर्णय लिया है, मिर्जापुर के विंध्याचल में आदि शक्ति मॉ विंध्यवासिनी का दर्शन पूजा करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को अब माता का बिना चरण स्पर्श किये ही आशीर्वाद मिलेगा. यह फैसला विंध्य पांडा समाज ने कार्यकारिणी बैठक में फैसला लिया है.नववर्ष के पहले दिन 24 घंटे धाम में आने वाले साधारण श्रद्धालु हो या वीआईपी किसी को भी माँ चरण नही छूने दिया जायेगा.

श्रद्धालु हो या वीआईपी किसी को भी माँ चरण नही छूने दिया जायेगा

श्री विंध्य पंडा समाज ने मंदिर की पवित्रता बनाये रखने के लिया ऐतिहासिक निर्णय है.  मिर्जापुर के विंध्याचल में आदि शक्ति माँ विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु अब माँ का चरण स्पर्श नही कर पायेगें. श्री विंध्य पांडा समाज ने कार्यकारिणी की बैठक कर यह तय किया है कि नववर्ष के पहले दिन 24 घंटे धाम में आने वाले साधारण श्रद्धालु हो या वीआईपी किसी को भी माँ चरण नही छूने दिया जायेगा.

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मॉ विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए कोने- कोने से आते है भक्त

विंध्याचल में विन्ध्य पर्वत व पतित पावनी माँ भागीरथी के संगम तट पर श्रीयंत्र पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के लिए वर्ष में देश के कोने – कोने से हजारों भक्त प्रतिदिन धाम में आते हैं. विशेष तिथियों और नक्षत्रों में माँ का दर्शन करने वाले भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है. सभी श्रद्धालु माँ के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेकर मन की मुराद पूरी करना चाहते है. चरण स्पर्श में होने वाली देरी और भीड़ के दबाव के चलते व्यवस्था को बनाये रखने में परेशानी होती ही है. इसके साथ आने वाला भक्त कितने शुद्ध है यह पांडा भी तय नही कर पाते. मंदिर की पवित्रता के साथ ही व्यवस्था को बनाये रखने के लिए श्री विंध्य पंडा समाज ने एक जनवरी को नववर्ष के पहले दिन चरण स्पर्श को पूर्णतया प्रतिबंधित रखने का निर्णय लिए हैं.
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