अपने कारनामों के लिए बदनाम दिल्ली-एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के असिस्टेंट टाउन प्लान (एटीपी) विवेक भाष्कर ने तीन प्लाटों पर बिना नक्शा पास कराये आलीशान कोठी खड़ी कर दी है। नियमों को ठेंगे पर रखकर किए गए इस कारनामे पर मेरठ का विकास प्राधिकरण चुप्पी साधे है। मेरठ के दौराला महायोजना में कई किलोमीटर लंबी ग्रीन बेल्ट पर बिल्डरों की कॉलोनियों खड़ी करवाने के बाद चर्चा में आया यह एटीपी कुछ महीनों पहले तक मेरठ विकास प्राधिकरण में ही तैनात था। महायोजना में ग्रीन बेल्ट खत्म करने वाले इस आरोपी ने इसी इलाके में एक बिल्डर से 4 प्लाट अपने नाम कराए थे।
क्या है मामला
मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत समद्ध कॉलोनी में एटीपी विवेक भाष्कर ने अपनी पत्नी के नाम से 4 प्लाट खरीदे, जिनमें से तीन प्लाटों को एक करके उस पर आलीशान कोठी खड़ी की गई है। एटीपी यानी असिस्टेंट टाउन प्लान विवेक भाष्कर का काम कुछ दिन पहले तक मेरठ विकास प्राधिकरण के तहत इलाके में नक्शे पास करना था, लेकिन इसी दौरान उन्होंने अपने मनमाने तरीके से तीनों प्लाटों के नक्शे पास किए और बजाय अलग-अलग निर्माण के एक साथ तीनों प्लाटों को जोड़कर कोठी खड़ी कर दी गई। हैरत की बात ये रही कि आम जनता के मामूली निर्माण पर डंडा चलाने वाले विकास प्राधिकरण के अफसर इस एटीपी के खिलाफ मुंह बंद किए हुए है।
इनाम में मिला प्लाट !
सूत्रों की मानें तो एटूजेड बिल्डर की इस कॉलोनी में विवेक भाष्कर को 4 प्लाट पारतोषित के तौर पर मिले थे। दरअसल, विवेक भाष्कर की कारीगरी के चलते दौराला महायोजना में पहले से तय करीब 10 किलोमीटर लंबी ग्रीन बेल्ट खत्म कर दी गई और वहां दर्जनों बिल्डरों की कॉलोनियां और कमर्शियल प्रतिष्ठानों के नक्शे पास कर दिए गए। एटूजेड बिल्डर ने इसी के इनाम में भाष्कर को 4 प्लाट दिए थे जिनमें से एक वे बेच चुके हैं।
आरटीआई से हुआ खुलासा
आरटीआई के तहत मांगी गयी जानकारी बताती है कि विवेक भाष्कर ने अपने विभाग से जमीनें खरीदने की कोई अनुमति नहीं ली। ये चारों प्लाट्स भाष्कर की पत्नी के नाम है। तीन प्लाटों को जोड़कर बनाई गई इस अवैध कोठी का ध्वस्तीकरण और सीलिंग होना चाहिए था, लेकिन मुख्यमंत्री से हुई शिकायत के बाद भी विकास प्राधिकरण के अफसर मूंह में दही डाले हुए हैं।