हजारों रूपये के बिजली बिल बकाये पर उत्तर प्रदेश के गरीब जनता का घर अंधेरा कर दिया जाता है, लेकिन लाखों और करोड़ों के सरकारी बकायेदारों की यदि दिन में बिजली काटी जाती है, तो रातों-रात जोड़ भी दी जाती है। गरीब जनता के घर बिना मीटर की बिजली पर मुकदमा ठोक दिया जाता है, लेकिन सरकारी विभागों में बिना मीटर अनाप-सनाप बिजली खर्च पर भी बिजली विभाग मेहरबान है। आपको बता दें कि आमजनता गर्मी में पंखे की हवा को भी तरसते हैं, लेकिन लखनऊ के पुलिस बूथ्स पर बिना मीटर के धड़ाधड़ एयर कंडीशनर चलाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं, पूरे लखनऊ भर में सैकड़ों बूथ में औसतन 16 घंटे लगातार एसी चलाकर लाखों की बिजली का हेरफेर किया जाता है। जिसकी भरपाई साल में मात्र एक बार बिजली विभाग द्वारा अनुमानित बिल बनाकर ले लिया जाता है। जबकि विभाग के अनुमानित खर्च से कई गुना ज्यादा बिजली खर्च किया जाता है।
लाखों रुपये की चपत लगाते हैं पुलिस बूथ्स
बता दें कि पूरे लखनऊ के चौराहों में करीब 150 से ऊपर ट्रैफिक पुलिस बूथ्स बनाये गए हैं। इन सभी पुलिस बूथ्स में नगर निगम की प्रॉपर्टी पर मात्र 62 पुलिस बूथ वैध है, और करीब 96 बूथ अवैध स्थापित किये गए हैं। इन सभी पुलिस बूथ्स में से करीब 70 फीसदी बूथ पर बिना मीटर कनेक्शन के एसी चलाये जा रहे हैं। 1 बूथ में लगातार औसतन 16 घंटे चलने वाली एक एसी का मासिक खर्च तकरीबन 7 हजार रुपये आता है। और इस तरह सैकड़ों बूथ पर चल रही एसी पर करीब 8 से 10 लाख की बिजली प्रतिमाह खर्च होती है, और इस तरह सालाना बिजली खर्च की धनराशि करोड़ों में पहुंचती है, लेकिन बूथ्स का अनुमानित खर्च मात्र कुछ लाख की सालाना धनराशि में ही निपटा दी जाती है। ऐसे में बिजली विभाग को लाखों रुपये की चपत पुलिस बूथ्स से लग जाती है। वहीं सरकारी महकमें की जगह किसी आम आदमी के घर का मात्र कुछ हजारों का बिजली बिल बकाया होता है, तो उनके आशियाने की बिजली गुल कर दी जाती है। ऐसे माहौल में विभागों के दो तरफे चेहरे देखने को मिल रहे हैं।