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सीतापुर : मांद बनाकर रहते हैं हमला करने वाले आदमखोर जानवर

Sitapur: truth of attack on innocent Jackal and Wolf can behind story

Sitapur: truth of attack on innocent Jackal and Wolf can behind story

सीतापुर में हो रहे बच्चों पर हमलों के पीछे का एक चौंकाने वाला सच फिर से सामने निकल कर आया है. जिसमें बच्चों पर हमला करने वाले कुत्ते नहीं बल्कि आदमखोर सियार या भेड़िया की तरह दिखने वाले कोई जानवर हो सकते है. गाँव वालों के मुताबिक इनका जबड़ा कुत्तों के जबड़ों से अलग दिख रहा था और इनकी बनावट भी आम कुत्तों से बिलकुल अलग थी. उनकी पूँछ झबरीली और नुकीले नाखून ये साबित करते हैं कि ये दिखने में तो कुत्ते जैसे हैं मगर हैं नही. इनमें से कोई भी न ही भौंका न ही गुर्राया, ये पीछे से हमला करते हैं और सीधा गर्दन पर वार करते हैं. हमारी uttarpradesh.org की टीम ने पहले भी यही अंदेशा लगाया था कि ये हमला करने वाले जानवर नाहर के पास बनी मांदों में छुपे हो सकते हैं. उसके बाद शनिवार के हुये हमले के बाद पशु प्रेमी प्रदीप पात्रा अपनी टीम के साथी शबा और अमित के साथ सीतापुर के उसी गाँव में जाके उन गॉंव वालों से बात की थी तो ये साफ़ निकल कर आया था की ये कुत्ते नहीं बल्कि कोई और जानवर हैं जो मासूमो को अपना शिकार बना रहे हैं।

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गाँव के खेत में मिली मांदे

नहर के करीब बसे हुए गांवों के खेतों में गाँव वालों ने कुछ मांदों को को देखा जिसमें उन्होंने सियार के बच्चे को देखा और उसे मार दिया ऐसा वो दावा कर रहे हैं. साथ ही गाँव वालों ने उन सभी मांदों में पानी भर दिया जीसमें इन सियारों और उनके बच्चों ने अपना आशियाना बना रखा था. ऐसी ही तमाम मांदे गॉंव और नाहर के पास बनी हैं जिन्हें जंगली जानवर अपना घर बना लेते हैं.

नहर के पास हो सकता है हमलावर जानवरों का ठिकाना

 खैराबाद के परमेंडी नहर पर हमलावर जानवर के होने की सम्भावना:

आदमखोर जानवर की खोज में लगे अधिकारियों को कुछ सुराग हाथ लगे है. एक एक्सपर्ट ने एक बड़ा खुलासा किया है कि यह जंगली जानवर सीतापुर खैराबाद के पास के परमेंडी ब्लाक में एक सूखी नहर के पास हो सकते हैं. यह नहर अंग्रजो के जमाने से बनी हुई है. जो तकरीबन 15 से 20 किलोमीटर लंबी है. उसी नहर में कुछ मांदे बनी हुई है, जिन मांदों में यह आदमखोर जानवर अपना आवास बना सकते हैं. सूखी नहर में करीब दो दर्जन से अधिक मिली मांदे होने की बात कही जा रही है. इस नहर मे काम्बिंग में टीम को कई जगह छोटे जंगली जनावरों के छिपने की जगहें मिली हैं. बता दे कि ग्रामीणों के गुस्से के कारण खैराबाद में सैकड़ो कुत्ते मारे जा रहे है, उसके बाद भी ग्रामीण बच्चों पर हमले नही रुक रहे हैं.

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मांदों में छिपे है आदमखोर जानवर:

टीम को भरोसा हैं कि भेड़िया/सियार या उनकी क्रॉस ब्रीड जीन्स वाला जानवर ही इस घटना को अंजाम दे रहा है और उसके बाद इन्ही मांदों में छिप जाते है. वारदातों का पैटर्न से भी यह पता चल रहा है कि नवम्बर से लेकर मई तक 95% वारदातें सूखी नहर से सटी जगहों पर हुई हैं. पिछले साल सितंबर अक्टूबर तक नहर में था, उस दौरान इस तरह की कोई वारदात नहीं हुई. पर नहर के सूखने के बाद से जानवरों के हमले की खबरे आने लगी हैं.

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सितंबर -अक्टूबर में सूख गयी थी नहर:

प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. ना ही वह इस बारे में सोच रहे हैं कि सीतापुर खैराबाद में हो रहे आदमखोर जानवर के हमले के सभी जानवरों को पकड़कर उन्हें मार दे या बंधक बना लें. लेकिन प्रशासन इसके विपरीत सिर्फ आम कुत्तों को मार रहा है. गांव वालों को भी निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी अनजान कुत्ता अगर उनके गांव की तरफ दिखे तो उसे घेर कर लाठी-डंडों से मार दिया जाए उसके बाद उनके शवों को गांव वाले पेड़ पर लटका देते हैं तो कोई उन्हें खेतों में गाड़ देता हैं. नवंबर 2017 से लगभग 300 से ज्यादा कुत्तों के मारे जाने की सम्भावना है. अब सीतापुर खैराबाद में सड़क पर कुत्ते देखने को नहीं मिलते हैं. जिन मांदों का जिक्र हमारे सोर्स ने किया है वो तकरीबन 20 से 25 फिट गहरी हो सकती हैं. जो वास्तविक रूप से कोई भेड़िया यह कोई जंगली जानवर ही बनाता है.

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खौफ़ के साये में कई गाँव

सुजावल पुर ग्राम, शाहपुर, अकबर गंज, फिरोज पुर,  टप्पा खजुरिया, कर्बलापुरवा ,खैराबाद, रामपुरवा, लहरपुर, रहीमाबाद गांव में भी इन जानवरों का आतंक तेजी  के साथ फैला है.  इन जानवरों के खौफ़ से गाँव वाले तो डरे हुये हैं ही मगर उनसे ज्यादा तो अब भटके हुये कुत्ते भी डरे हुये है जो उसी गाँव के है. वो भी लोगों के हांथों में लाठी डंडे देखते ही भागने लगते हैं, इन आदमखोर जानवरों की वजह से कई मासूम कुत्तों ने अपनी जान गँवाई है. ऐसे ही  घटनाक्रम के चलते जोशी पुरवा में 4 कुत्तों को मार डाला गया पुलिस द्वारा.

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उन्हें मारने के बाद उन मृत कुत्तों की बॉडी को नगर निगम वाले तुरंत ले गए.  सीमा नाम की एक बच्ची को उन जानवरों ने काटा था जिसे जिला अस्पताल में भारती कराया गया था, उसके बेहतर इलाज की सुविधा के साथ प्रशासन ने उसके परिवार को 25 हज़ार आर्थिक सहायता भी पहुंचाई. इसके बाद उन जानवरों ने टप्पा खजुरिया में एक बकरी को काटा था, अकबरगंज में एक बच्चे को काटा था,  जिसको अभी तक मुआवजा नही मिला जबकि उसपे हमला करने की घटना पुरानी है. रमपुरवा गांव में सुशील नामक बच्चे को सुबह 9 बजे 5 भेड़िया ने काटा लेकिन समय रहते गाँव वालों बच्चे को बचा लिया जिसका इलाज़ जिला अस्पताल में हो रहा है.

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