राजधानी लखनऊ सटे बाराबंकी जिला की पुलिस अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रही है। अभी पिछले दिनों सुबेहा थाने में तैनात एक दारोगा ने पुलिस महकमें की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि इस बार फिर पुलिसकर्मियों ने संवेदनहीनता का काम किया है। दरअसल थाना क्षेत्र में एक मारपीट की शिकायत पर पुलिस दो बुजुर्गों को थाने उठा लाई। इन बुजुर्गों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई तो नहीं की लेकिन चार दिनों से बुजुर्गों को हिरासत में लेकर बैठी रही। मामला जब मीडिया के संज्ञान में आया तो बुजुर्गों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इस मामले पर हैदरगढ़ क्षेत्राधिकारी समर बहादुर ने बताया कि इस मामले में मुकदमा दर्ज कर चालान कर दिया गया है।
मारपीट की सूचना पर पहुंची थी पुलिस
बता दें कि मानवाधिकारों के पालन की दुहाई देने वाली पुलिस योगीराज में भी मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा रही है। इसकी ताजी बानगी बाराबंकी के सुबेहा थाने में देखने को मिली है। पड़ोसी के साथ विवाद की शिकायत पर पुलिस आरोपित किए गए दो बुजुर्गो को उठा लाई। चार दिनों से पुलिस उन्हें थाने में बैठाए है पर मामला दर्ज कर चालान नहीं भेज पाई। मामला सुबेहा थाना अंर्तगत गाँव पूरे तिलहा किरसिया का है। यहां बीते रविवार यानि 20 मई को बाबूलाल (40) और उनके पिता राम औतार (65) का गाँव के कुछ लोगो वंशलाल राम शरन, राम हरख आदि से विवाद हो गया था। जिसके बाद सूचना पर पहुंची डायल 100 पुलिस दोनों पक्षो को थाने ले आयी।
पुलिस पर दूसरे पक्ष से मिलीभगत का आरोप
राम औतार की बहू रंजना पत्नी शीतला प्रसाद ने आरोप लगाया कि चार दिनों से पुलिस मेरे ससुर और जेठ बाबूलाल को थाने में बिठा रखा है। शीतला प्रसाद पुत्र राम औतार ने बताया कि विपक्षियो ने मेरी माँ गंगा देई को जमकर पीटा जिससे उनका बाया हाथ टूट गया और कान के पर्दे फट गये। यही नहीं दूसरे पक्ष के लोगो को पुलिस ने तुरन्त छोड़ दिया जो अब जान-माल की बराबर धमकी दे रहे है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने रिश्वत लेकर दूसरे पक्ष की मदद की है। हालांकि असल मामला क्या है ये जाँच का विषय है।