कई सरकारी विभागों, काशी विद्यापीठ जैसे विश्वविद्यालय की आपत्ति के बाद वाराणसी यूपी कॉलेज के प्राचीन छात्र संघ ने भी कॉलेज में 6 दशकों से हो रही धांधली को लेकर आवाज उठाई हैं. छात्र संघ अध्यक्ष ने फर्जी समिति के सदस्यों पर कई संगीन आरोप लगाते हुए सरकार से समिति को भंग करने की मांग की हैं.
फर्जी समिति का भ्रष्टाचार नहीं हो रहा बंद:
वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में ना तो धांधली और भ्रष्टाचार रुकने का नाम ले रहा हैं और ना ही प्रशासन पूर्वांचल के इस महत्वपूर्ण कॉलेज की सुध ले रहा हैं.
लेकिन फ़िक्र हैं तो बस सालों से इस कॉलेज से भावनात्मक रूप से जुड़े लोगों को, जिन्होंने कभी यहाँ से खुद पढ़ाई की है तो किसी ने पूरी जिंदगी की सेवा यहाँ दी.
कोई सेवानिवृत्ति हो कर भी कॉलेज का हितैषी हैं तो कोई खुद की तरह अन्य छात्रों के हित के लिए कॉलेज को हर तरह्ह के भ्रष्टाचार और विसंगतियों से दूर रखना चाहता हैं.
आखिरी जिले के युवकों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुरू किये गये यूपी कॉलेज का खुद का क्या भविष्य होगा जब जिम्मेदार प्रशासन ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर बैठा हैं.
प्राचीन छात्र संघ का आरोप:
वाराणसी का प्राचीन छात्र संघ हमेशा ही छात्रों के हित के लिए सालों से काम करता रहा हैं. धर्मादा संदान, काशी विद्यापीठ, फर्म चिट्स एंड सोसाइटी जैसे कई सरकारी विभागों के अलावा प्राचीन छात्र संघ ने भी यूपी कॉलेज में फर्जी समिति बना कर सालों से हो रही धांधली के खिलाफ आवाज उठाई हैं.
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छात्र संघ अध्यक्ष आनन्द विजय सिंह ने यूपी कॉलेज में फर्जी समिति पर सवाल खड़े किये. उन्होंने कॉलेज में हो रहे भ्रष्टाचार से यूपी कॉलेज को बचाने की अपील भी की.
आनंद विजय ने समिति के अध्यक्ष के. एन सिंह पर कॉलेज में सालों से भ्रष्टाचार से लिप्त होने का आरोप लगाया.
कौन हैं के.एन. सिंह
यूपी कॉलेज में फर्जी समिति बना कर उसके संचालन और धर्मादा संदान द्वारा मिलने वाली मूल राशि का उपयोग समिति के लिए करने में जिस शख्स का नाम खुल कर सामने आ रहा है, वे समिति के अध्यक्ष के.एन. सिंह हैं.
सालों से इस पद पर आसीन ये अध्यक्ष कोई आम व्यक्ति नहीं बल्कि न्याय और न्यायपालिका के रखवाले हैं. के. एन. सिंह सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं. जो 27 साल से लगातार उदय प्रताप सिंह समिति के अध्यक्ष पद का कार्यभार सम्हाल रहे हैं.
यूपी कॉलेज घोटाला: ट्रस्ट के नाम पर फर्जी समिति लूट रही करोड़ो
प्राचीन छात्र संघ ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश पर संगीन आरोप लगाये, उन्होंने कहा कि के.एन. सिंह कॉलेज को लगातार 27 सालों से लूट रहे हैं.
कॉलेज को बनाया लूट का अड्डा:
राजश्री उदय प्रताप ने कॉलेज के संचालन के लिए ट्रस्ट की स्थापना की और संचालन का जिम्मा सरकार को दिया. इसके लिए बाकायदा अनुबंध भी किया गया. लेकिन 1964 में कुछ लोगों ने मिल कर एक समिति बना ली.
जिसकी स्थापना नियमों की अनदेखी के साथ हुई और यह फर्जी समिति अब भी अस्तित्व में है जो लगातार कॉलेज को खोखला कर रही है. इसी समिति के सदस्य सालों से कॉलेज को लूटने में लगे हैं.
कॉलेज की स्वायत्ता रद्द:
साल 1951 में यूपी कॉलेज को स्वायत्ता मिली थी. प्राचीन छात्र संघ के उद्घाटन में कॉलेज को स्वायत्ता दी गयी थी. लेकिन आज यूपी कॉलेज की स्वायत्ता भी रद्द हो चुकी हैं.
छात्र संघ ने आरोप लगाया कि फर्जी समिति के फर्जी अध्यक्ष लगातार 26 सालों से इस पद पर बने हुए हैं. जब भारत का न्यायाधीश ही आपराधिक कार्यों में लिप्त हो जायेगा, तो पीड़ित न्याय के लिए कहा गुहार लगाएगा.
छात्र संघ अध्यक्ष इस समिति के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं. चाहे वे पूर्व की सपा सरकार हो या वर्तमान योगी सरकार. लेकिन अभी तक कहीं से उन्हें सफलता नहीं मिली.
योगी सरकार से लगा चुके गुहार:
साल 2017 में छात्र संघ अध्यक्ष आनंद विजय ने सीएम योगी से मुलाक़ात कर समिति को भंग करने की मांग की थी. इस समिति के फर्जीवाड़े के सारे दस्तावेज सरकार को उपलब्ध करवा दिए गये.
फर्म, चिट्स एंड सोसाइटी, उच्च शिक्षा विभाग ने समिति को अवैध करार दिया हैं. यहाँ तक कि काशी विद्यापीठ ने इसकी मान्यता रद्द कर दी हैं. 2013 से कॉलेज के छात्रों को डिग्रियां नहीं मिल रही है.
ऐसे में छात्रों का इस कॉलेज में पढने का क्या औचित्य बनता है. कॉलेज की स्थापना करते समय खुद राजश्री उदय प्रताप ने भी नहीं सोचा होगा कि छात्रों को अच्छी शिक्षा देने के लिए शुरू किया गया ये विद्यालय बाद में छात्रों का हितैषी ना रह कर भ्रष्टाचार के अड्डे में बदल जायेगा.
आनंद विजय ने चेतावनी दी कि इतने सालों के भ्रष्टाचार का अंत अगर अब ना हुआ और सरकार इस फर्जी समिति को भंग नहीं करेगी तो अंत में उनके पास धरना प्रदर्शन के अलावा कोई मार्ग नहीं बचेगा.