स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी भी हालत में नहीं सुधर सकता है। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी मरीजों को राजधानी के सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसा इसलिए ही नहीं है की इन अस्पतालों में भीड़ ज्यादा है बल्कि डॉक्टर्स भी अपने समय पर अपने रूम में नहीं मिलते हैं। यही वजह है की एक तो जांच में मरीजों की लम्बी क़तार और दूसरी ओर वेटिंग। ऐसे में मरीज डॉक्टर को दिखाने के एक सप्ताह बाद ही इलाज की उम्मीद कर पाते हैं। सिविल की बात हो या लोहिया अस्पताल की हर जगह मरीज जांच में वेटिंग की मार झेल रहे है।
ये भी पढ़ें : राज्यपाल ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयन्ती पर अर्पित की पुष्पांजलि!
जांच में एक हफ्ते बाद की मिल रही डेट
- राजधानी के करीब सभी सरकारी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा है।
- बावजूद इसके हर अस्पताल में जांच में मरीजों को वेटिंग दी जा रही है।
- किसी अस्पताल में ये वेटिंग दो दिन की है तो किसी अस्पताल में एक हफ्ते की।
- मजबूरी में तो कई बार मरीजों को अपनी जांच निजी सेंटरों पर भी करानी पड़ती है।
- इसके लिए मरीजों को काफी पैसा जांच के लिए खर्च करना पड़ता है।
- आपको बता दें की वेटिंग की समस्या को खत्म करने के लिए इन अस्पतालों में एक से ज्यादा मशीन लगवाई गयी थी।
- बावजूद इसके मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही।
- लोहिया हॉस्पिटल और लोहिया संस्थान में भी मरीजों को वेटिंग दी जा यही है।
- लोहिया अस्पताल में जहाँ मरीजों को दो से तीन दिन की वेटिंग मिल रही है।
- वही दूसरी ओर मरीजों को लोहिया संस्थान में अल्ट्रासाउंड के साथ ही mri जांच में 15 दिन तक की वेटिंग मिल रही है।
- कई बार तो मजबूरी में मरीजों को mri जांच बाहर से कराने को कहा जाता है।
- जिसमे एक जांच में उन्हें 7-8 हज़ार रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
ये भी पढ़ें : भ्रम और तनाव की स्थिति है सिजोफ्रेनिया !
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें