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जौनपुर से उमाकांत यादव पर सपा-बसपा गठबंधन लगा सकता है दाँव

2019 के लोकसभा चुनावों की सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है। सपा और बसपा का गठबंधन उपचुनावों की तरह ही लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए रणनीति बना रहा है। इस रणनीति के तहत कई बड़े नेताओं को भाजपा से अलग किया जा रहा है जिससे लोकसभा चुनावों के समय बीजेपी पर ज्यादा से ज्यादा दबाव बनाया जा सके। इसी के तहत पूर्वांचल के एक बड़े बाहुबली के भाई ने लोकसभा चुनावों के ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया है। इस बाहुबली के बसपा में आने से भाजपा को बड़ा झटका लगा है। इसके अलावा इन्हें जौनपुर से चुनाव लड़ाये जाने की खबरें आ रही हैं।

उमाकांत यादव हुए हाथी पर सवार :

पूर्व सांसद और बाहुबली नेता उमाकांत यादव ने एक बार फिर से बड़ा दाँव खेला है। उन्होंने चुनावों के ठीक पहले बसपा ज्वाइन कर ली है। बसपा सुप्रीमों मायावती की रजामंदी के बाद उन्हें पार्टी में लिया गया है। वाराणसी-आजमगढ़ के जोनल कोआडिनेटर रामकुमार कुरील ने जिले के एक होटल में सैकड़ो कार्यकर्ताओं के सामने उमाकांत यादव के बसपा में आने का ऐलान किया। उन्होने उमाकांत के साथ ही उनके पुत्र दिनेशकांत को भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करायी। बाहुबली नेता उमाकांत यादव पहली बार बसपा के टिकट पर ही 1991 में विधायक बने थे। इसके अलावा वे पहले बार 2004 में बसपा से मछलीशहर के सांसद बने थे। इसके अलावा उमाकांत यादव को गेस्ट हाउस काण्ड का बहे आरोपी माना जाता है। मगर अब भाजपा को रोकने के लिए बसपा सुप्रीमों मायावती ने उन्हें माफ़ कर दिया।

 

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जौनपुर से लड़ सकते हैं चुनाव :

बसपा में शामिल होने के बाद उमाकांत यादव की लोकप्रियता को भुनाते हुए बसपा उन्हें जौनपुर से प्रत्याशी बना सकती है। सपा ऐसे में उन्हें अपना समर्थन देगी और यादव-मुस्लिम और दलित वोट बसपा प्रत्याशी को मिलेगा। इस तरह गठबंधन के प्रत्याशी को लेकर विरोधी दल किसी प्रकार का भ्रम जनता में नहीं फैला पायेंगे। ऐसे में सपा और बसपा का ये नया फार्मूला बीजेपी का 2019 के लोकसभा चुनावों में गेम बिगाड़ सकता है। वर्तमान समय में जौनपुर लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। यहाँ से बीजेपी के कृष्ण प्रताप सिंह सांसद हैं। इस सीट के इतिहास को देखें तो यहाँ पर किसी एक दल का सांसद 1 बार से ज्यादा नहीं रहा है।

 

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