केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की संभावना पर दिया जवाब
भारत में कोरोना की पहली लहर ने सबसे ज्यादा वृद्धों को प्रभावित किया, दूसरी लहर ने वृद्धों के साथ-साथ युवाओं को भी प्रभावित किया और कोरोना की तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होंगे।” यह स्टेटमेंट मीडिया और न्यूज चैनल्स में कई बार कहे गए हैं, कहे जा रहे हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे ही कल्पित बातों को एक्सपर्स के द्वारा बताए गए रायों से हल करने का प्रयास किया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज करके बच्चों पर कोरोना के संभावित प्रभावों पर उठ रहे प्रश्नों का जवाब देने की कोशिश की है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने प्रेस रिलीज में कहा है कि बहुत से देसी और विदेशी तथ्यों से यह बात साबित हो गई है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों में कोविड19 से गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना बहुत कम होती है। ज़्यादतर केसेस में बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कोरोना से संक्रमित होने के केस में ज्यादातर बच्चों का मामूली रूप से खांसी-बुखार का इलाज करने की जरूरत ही पड़ती है। कुछ केसेस में ही बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ता है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि भारत में 2 से लेकर 18 साल तक के बच्चों पर कोविड19 वैक्सीन (कोवैक्सिन) का परीक्षण प्रारंभ हो चुका है। संभावना है कि इसी साल के सितंबर-अक्टूबर में हम बच्चों का वैक्सीनेशन प्रारंभ कर देंगे। इसके साथ ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीसरी लहर का नाम लिए बिना ही कहा, “बाद की लहरों, यदि कोई हो, के दौरान कोविड19 द्वारा बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के लिए बच्चों की उच्च भेद्यता के संबंध में कई प्रश्न उठाए गए हैं। विशेषज्ञों ने कई प्लेटफार्मों पर इन आशंकाओं और आशंकाओं को दूर किया है।”
ज्ञात हो कि भारत में कोविड19 महामारी काफी नियंत्रण में आ चुकी है। कोरोना के वर्माण ऐक्टिव केसेस घटकर भी घटते हुए पांच लाख के आसपास तक सीमित हो रहे है। मगर तीसरी लहर की संभावनाओं के आधार पर सरकार कोई भी ढिलाइ नहीं पड़ने देना चाहती है। इसी के मद्देनजर कई सारे कोविड अस्पतालों को तैयार भी किया गया है। उम्मीद है इन अस्पतालों की आवश्यकता न पड़े।