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विश्वविद्यालय बवाल: कोर्ट ने DGP एसएसपी को लगाई फटकार

Lucknow University Clash: Court rebuts DGP SSP During hearing

Lucknow University Clash: Court rebuts DGP SSP During hearing

लखनऊ विश्वविद्यालय में बुधवार को हुए बवाल के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एसपी सिंह विश्वविद्यालय प्रशाशन के एक डेलिगेशन के साथ गुरुवार को DGP ओपी सिंह से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे। यहां कुलपति ने स्थानीय पुलिस की लापरवाही की शिकायत की और दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग की जोकि विश्विद्यालय प्रशासन बवाल के दिन से ही कर रहा है।

मामले को गंभीरता से लेते हुए डीजपी ओपी सिंह ने सीओ महानगर अनुराग सिंह को तत्काल प्रभाव से हटा दिया था। वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। वहीं पूरे मामले की जाँच लखनऊ रेंज के आईजी को सौंपी है। इस हमले में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रमनाथ ने मामले को गंभीरता से लेते DGP उत्तर प्रदेश, SSP लखनऊ और लखनऊ विश्वविद्यालय के VC को तलब किया था।

शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे डीजीपी, कुलपति, प्रॉक्टर, रजिस्ट्रार और एसएसपी जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश सिंह चौहान की बेंच के सामने प्रस्तुत हुए। कोर्ट ने यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह और एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए पूछा कि जब विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर व अन्य अधिकारी पुलिस से इस प्रकार की घटना का अंदेशा जता चुके थे। साथ प्रॉक्टर के घर पर रात 12 बजे धमकी दिए जाने की एफआईआर दर्ज हो चुकी थी, फिर भी पुलिस शिक्षकों के साथ मारपीट की घटना रोकने में क्यों विफल रही?

कोर्ट ने पूछा कि प्रॉक्टर द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर क्या कार्रवाई की गई है। एसएसपी लखनऊ ने कोर्ट के सामने अपनी सफाई पेश की, लेकिन कोर्ट उनकी दलील से संतुष्ट नहीं हुई। जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश सिंह चौहान ने वीसी और प्रॉक्टर को पूरी घटना का ब्योरा एक हफ्ते में हलफनामें में देने को कहा है। इस तरह की घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए कोर्ट ने मुख्य सचिव को एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही और मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश पांडेय उपस्थित हुए। मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को रखी गई है।

डीजीपी और एसएसपी को जमकर लगाई फटकार

खचाखच भरी अदालत में तलब किए पांचों अधिकारी साढ़े दस बजे पहुंचे। डेढ घंटे तक चली सुनवाई के दौरान अदालत ने पहले लखनऊ विवि के वीसी, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर को बारी-बारी से बुलाकर घटनाक्रम के संदर्भ में जानकारी ली। इसके बाद डीजीपी और एसएसपी लखनऊ से अब तक की गई कार्रवाई के बारे में पूछा। कार्रवाई से असंतुष्ट अदालत ने डीजीपी और एसएसपी को नाराजगी भरे स्वर में कहा कि घटना के समय 50 मीटर की दूरी पर पुलिस मौजूद थी, लेकिन वह सोती रही। इस पर एसएसपी द्वारा सफाई दी गई कि मारपीट की घटना राजनीति से प्रेरित थी। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कोर्ट ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि आजकल सभी राजनीतिक दलों का यही काम रहा गया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूनिवर्सिटी परिसर में शिक्षकों की खुलेआम पिटाई हो जाए। अदालत ने कहा कि क्या अब यही व्यवस्था चलेगी जिसमें शिक्षकों को अपराधी आकर पीट जाए।

छात्रों की सीसीटीवी से हुई पहचान

लखनऊ विश्वविद्यालय में बवाल करने वालों को एफआईआर दर्ज करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। निष्कासित छात्र आशीष मिश्र को गुडम्बा पुलिस थाने ले गई। कुछ छात्रों को भी हसनगंज थाने में बैठाया गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे से फुटेज निकालकर चार लोगों की पहचान की गई है। इनमें आकाश लाला, विनय यादव, हिमांशु और आशीष मिश्र बॉक्सर हैं। इनके साथ 20-25 लोग और थे जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। इन छात्रों के खिलाफ तहरीर गई थी।

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ पूर्व छात्रों को नए शैक्षिक सत्र में दाखिला देने पर रोक लगाई है। इसके विरोध में सोमवार से विश्वविद्यालय में भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन चल रहा है। बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रॉक्टोरियल टीम के सदस्यों को बुधवार को परिसर में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। उन पर पथराव भी हुआ जिससी 12 से ज्यादा शिक्षक चोटिल हो गए। उपद्रवियों ने कुलपति प्रो. एसपी सिंह को भी नहीं बख्शा और उनके साथ भी बदसलूकी की गई। घटना के विरोध में विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया है।

लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति की हठधर्मिता

वहीं छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा कि वह 14 दिन से धरने पर बैठे हैं लेकिन एलयू के वीसी एसपी सिंह ने छात्रों से बात तक नहीं की। 2 हफ्ते से लखनऊ विवि में माहौल खराब था। वीसी एसपी सिंह के अड़ियल रवैए के चलते हालात इतने बिगड़े। गलती पर गलती करते गए वीसी एसपी सिंह आज डीजीपी पर दबाव डालकर कार्रवाई कराई। गलती वीसी की सजा पुलिसवाले भुगत गए। आरोप है कि दबाव में आ जाना डीजीपी ओपी सिंह की आदत पुरानी रही है। एसपी सिंह के चलते कल हाईकोर्ट में सबकी पेशी है। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या राजभवन एसपी सिंह पर कार्रवाई करेगा?

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