उन्नाव में डायरिया का प्रकोप अपने चरम पर है, अबतक 42 बच्चे से ज़्यादा इसके चपेट में आ चुके है. अगस्त का महिना आने वाला है ऐसे में ये ख़तरा लोगों को और डरा रह है.
गन्दगी और जलभराव है समस्या:
डायरिया और मलेरिया जैसे संक्रामक रोग गन्दगी और जलभराव के कारण फ़ैल रहे है. जलभराव के कारण मौसमी बीमरी के मरीजों की भरमार हो चुकी है. आलम ये है की दिनों दिन मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है.
अस्पताल फ़ुल, व्यवस्थाएं गुल:
मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते अब अस्पताल के बेड फुल होने लगे है. हर साल इस मौसम में संक्रामक रोग फैलते है मगर व्यवस्थायें देखकर यह लगता है की प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं.
एक मौत के बाद जागा स्वास्थ्य विभाग:
उन्नाव के औरास के नदौली के मजरा रानीखेड़ा का मामला। रानीखेड़ा में डायरिया के कारण एक बच्ची की मौत हो चुकी है. डायरिया की चपेट में आने से 42 से ज़्यादा बीमार है. चार दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की टूटी नींद. डॉक्टरों की टीम मजरा रानीखेड़ा गांव पहुंची. अगस्त का महीना आने वाला है मगर व्यवस्थाओं को देखकर ये नहीं लगता की स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल गोरखपुर में हुई घटना से कोई सबक लिया हो.
थोड़ी सी सावधानी, रोग से बचा सकती है:
बदलते मौसम के बीच सावधानी बरत कर इन संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है. सफ़ाई, साफ़ भोजन और साफ़ जल के इस्तेमाल से वैक्टिरियल इन्फेक्शन से बचा जा सकता है.
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