उन्नाव गैंगरेप केस के मामले में सीबीआई ने प्रगति रिपोर्ट इलाहाबाद कोर्ट में दाखिल कर दी है। कोर्ट ने पॉस्को एक्ट के तहत उन्नाव में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी। पीड़िता की माँ की तरफ से हलफनामा दाखिल कर निष्पक्ष विवेचना न करने का सीबीआई पर आरोप लगाया है। पीड़िता की मां ने हलफनामों कहा कि उसकी एफआईआर से अलग दूसरी एफआईआर दर्ज की। कोर्ट ने आरोपो पर सीबीआई से रिपोर्ट मांगी है। अब मामले की अगली सुनवाई आगामी 30 मई को होगी। चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस सुनीत कुमार की खंण्डपीठ इस पूरे मामले की सुनवाई कर रही है।
गौरतलब है कि उन्नाव दुष्कर्म कांड में सीबीआई ने विधायक कुलदीप सेंगर को पीड़ित किशोरी के पिता के पास से फर्जी तरीके से तमंचे की बरामदगी के मामले में षड्यंत्र का आरोपित बनाया है। सीबीआई रविवार सुबह से विधायक सेंगर को दो दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। उनका सामना माखी थाने के तत्कालीन एसओ अशोक सिंह भदौरिया व दारोगा कामता प्रसाद सिंह से सामना कराया गया है।सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई के हाथ फर्जी तरीके से तमंचे की बरामदगी दिखाए जाने के कई पुख्ता साक्ष्य लगे हैं।
आरोपित विधायक सेंगर को सीबीआई की प्रभारी विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता सिंह ने शनिवार को दो दिन के लिए सीबीआई को पुलिस कस्टडी रिमांड पर दिए जाने का आदेश दिया है। माखी थाने के तत्कालीन एसओ ने सीबीआई पूछताछ में कई अहम राज उगले हैं। सूत्रों के मुताबिक विधायक सेंगर की सीधे एसओ से फोन पर बात भी हुई थी। अब तक की सीबीआई जांच में विधायक के प्रभाव में ही पुलिस के खेल करने की बात सामने आ चुकी है। मोबाइल कॉल डिटेल से भी अहम सुराग हाथ लगे हैं। सीबीआई अब सभी कड़ियां जोड़ेगी।
माखी थाने के तत्कालीन एसओ अशोक सिंह व दारोगा कामता प्रसाद से पूछताछ के बाद सीबीआई का शिकंजा आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर कसना शुरू हो गया है। जिस प्रकार विधायक की भूमिका फर्जी तरीके से तमंचा बरामद दिखाकर पीड़ित किशोरी के पिता को जेल भेजने के षड्यंत्र में सामने आई है, उससे हत्या का मुकदमा सीधे तौर पर जुड़ा है।
उल्लेखनीय है कि मारपीट के बाद पीड़ित किशोरी के पिता को फर्जी मुकदमे में जेल भेज गया। माखी थाने की पुलिस ने पीड़ित किशोरी के पिता के पक्ष की ओर से पहले रिपोर्ट तक नहीं दर्ज की थी। उल्टा पहला मुकदमा पीड़ित किशोरी के पिता के खिलाफ ही दर्ज किया गया। उसमें भी पुलिस ने खेल किया और गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद किशोरी के पिता को तमंचा बरामद दिखाकर जेल भेजा गया।
उसके इलाज में भी लापरवाही बरती गई। सिलसिलेवार यह पूरा खेल विधायक के दबाव में ही किया गया। सीबीआई जांच में यह भी सामने आ चुका है कि विधायक ने लगातार स्थानीय पुलिस के अधिकारियों को फोन भी घुमाए थे। सूत्रों का कहना है कि पीड़ित किशोरी के पिता की हत्या के केस में सीबीआई कई बिंदुओं पर जांच कर रही है। जिनमें विधायक की भूमिका सिलसिलेवार सामने आ रही है। ऐसे में हत्या के केस में विधायक पर शिकंजा कसना लगभग तय माना जा रहा है।