नमामि गंगे मिशन/योजना के लिए सरकार ने अरबों रूपए खर्च कर दिए पर कुछ फायदा नज़र नहीं आया. बल्कि समय के साथ गंगा नदी का पानी दिन प्रतिदिन और प्रदूषित होता जा रहा है. और यह राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के लिए बहुत ही चिंतनीय विषय है.
NGT ने जताई नाराज़गी:
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने गंगा नदी की बिगडती हालत नाराज़गी जताई और कहा की “हरिद्वार से उन्नाव जिले तक गंगा नदी का पानी न तो पीने लायक है और न नहाने लायक. हर रोज़ न जाने कितने मासूम श्रद्धालु गंगा नदी का पानी पीते हैं और इससे नहाते हैं. पर उन्हें ये नहीं पता की इस पानी का उनके स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर पड़ता है.” NGT ने कहा की, “सिगरेट के पैकेट पे भी चेतावनी ल्लिखी होती है, तो लोगों को नदी के जल के प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी क्यों नहीं दी जाती?”
केंद्र सरकार को कड़ी फटकार:
एनजीटी ने केन्द्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा की हरिद्वार से उन्नाव तक हर 100 मीटर के अन्तराल पर, गंगा नदी के किनारे चेतावनी बोर्ड लगाया जाये. उस डिस्प्ले बोर्ड का उद्देश्य होगा लोगों को इस बात की जानकारी देना की यह पानी न ही पिने योग्य है और न नहाने योग्य.
गंगा नदी के किनारे चेतावनी बोर्ड लगाने के निर्देश:
एनजीटी ने गंगा मिशन और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी 2 हफ्ते का समय दे कर कहा है की वे अपनी वेबसाइट पर एक मानचित्र लगाये जिसमें यह बताया जा सके की कहाँ का पानी पीने और नहाने योग्य नहीं है.
एनजीटी की फटकार के बाद जिला प्रशासन काफी सक्रिय हो गया है.
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