विधानसभा का बजट सत्र (UP Assembly) भी दहशत की जद में आ गया जब सदन के अन्दर विस्फोटक पाया. इस लापरवाही के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने सदन में बयान दिया था और NIA द्वारा इस मामले की जाँच कराने की बात भी कही थी. लेकिन इस मामले में हैरान करने वाला तथ्य सामने आया है. खुलासा सुरक्षा में लापरवाही को लेकर है और इसका जिक्र सीएम योगी ने भी किया था. सीएम योगी ने भी परिसर में बिना पास आने वाली गाड़ियों को लेकर चिंता व्यक्त की थी.
प्रमुख सचिव, सचिवालय प्रशासन को लापरवाही की थी खबर:
इस पत्र में 29 मई की घटना का जिक्र है और ये पत्र 30 मई को प्रमुख सचिव, सचिवालय प्रशासन को लिखा गया था.
- इसमें कहा गया था कि एक साथ तीन बड़ी गाड़ियां गेट नंबर 9 से धड़ल्ले से परिसर में प्रवेश कर गई थीं.
- जबकि इन वाहनों का कोई पास नहीं था.
- पत्र के जरिये इस मामले में कार्रवाई करने के लिए निवेदन किया गया था.
- पत्र में जिक्र है कि सचिवालय प्रशासन के इशारे पर गार्ड ने उन गाड़ियों को प्रवेश की इजाजत दी थी.
- इसमें ये भी कहा गया था कि वीडियो फुटेज के जरिये मामले की जाँच कर कड़ी कार्रवाई की जाये.
- ये पत्र वकील विनोद पांडे द्वारा प्रमुख सचिव, सचिवालय प्रशासन को लिखा गया था.
- पत्र के बिना पर ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया होता तो PETN विधानसभा में नहीं पहुंचा होता.
ये खतरनाक प्रवृति है:
- सीएम ने कहा कि सवाल ये है कि वो कौन लोग हैं, जो इसकी साजिश रच रहे हैं.
- ये एक खतरनाक प्रवृति है.
- विधानभवन में मौजूद कर्मियों का पुलिस वेरिफिकेशन होना चाहिए.
- क्या किसी को इतनी छूट दी जा सकती है कि सभी सदस्यों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाए.
- ये गंभीर प्रकरण है ये तय होना चाहिए कि क्या किसी एक व्यक्ति को खुश करने के लिए ये खतरा मोल लें?
ये एक आतंकी साजिश:
- सीएम ने कहा था कि जबतक अधिकारी चेक नहीं करें तबतक इसके बारे में पता नहीं चलेगा.
- ये एक आतंकी साजिश है.
- इसकी जांच NIA जैसी संस्था को दी जानी चाहिए.
- ये 22 करोड़ लोगों की भावना से जुड़ा मुद्दा है.
- जिसने भी ये साजिश की है उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
- विकास के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए लेकिन आज सुरक्षा में सेंध पर चर्चा करने को मजबूर हैं.
- पूरे प्रकरण को NIA को सौंप जाए और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
कैसे पहुंचा होगा विस्फोटक:
- विधानसभा के गेट पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं.
- मेटल डिटेक्टर के साथ सुरक्षाकर्मी खड़े रहते हैं.
- लेकिन हैरानी की बात ये है कि मल्टी लेयर सुरक्षा घेरे को तोड़कर कोई विस्फोटक लेकर कैसे पहुँच गया?
- वहीँ इस पूरे घटनाक्रम में साजिश से इंकार भी नहीं किया जा सकता है.
- इस प्रकार की वारदात के बाद सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
- विस्फोटक नीले रंग के पॉलीथीन में रखा गया था.
- जब राजधानी स्थित विधानसभा सुरक्षित नहीं है तो पूरे प्रदेश में सुरक्षा के प्रबंध कैसे होंगे?
- ATS को इस मामले में जाँच के आदेश दिए गए हैं.
- 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाके में PETN का इस्तेमाल किया गया था.
- ये एक गंधहीन पदार्थ होता है और इसको X-रे मशीन भी नहीं पकड़ पाती है.
- ये छोटी से छोटी मात्रा में बढ़ा धमाका कर सकता है.
- वहीँ ये भी बात सामने आई है कि सदन के भीतर जाने वालों की तलाशी नहीं होती है.
- ऐसे में सुरक्षा में हुई इस चूक की जवाबदेही किसकी होगी?
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