बड़े बुजुर्ग सही कहते हैं कि आज पढ़ाई का जमाना है, पढ़ लो…पढ़ लो…लेकिन टशन में चूर लड़के कहां इन सब बातों पर ध्यान देते हैं उनका पूरा ध्यान तो रेसर बाईक, चश्मा और मोबाइल पर होता है। तनिक दो-चार किताब उठाकर पढ़ लेते तो का बिगड़ता जाता…कुछ नही तो हिंदी ही ठीक से पढ़ लेते कौन से फिजिक्स और कैमेस्टी के अॉथर और डेफिनेशन को पढ़कर वैज्ञानिक बनना था?
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में दूल्हा बाबू चले थे विवाह करने। गाजे-बाजे के साथ पहुंचे अपनी दुल्हनियां के घर। लेकिन शादी से पहले ही दुल्हनियां ने दूल्हे राजा से हिंदी का ऐसा परिश्रम कराया की बबुआ अपना दृष्टिकोण लगाते-लगाते थक गये और फिर ऐसा सांप्रदायिक माहौल हुआ कि दूल्हे को बिना विवाह किये वापस लौटना पड़ा।
जब दूल्हे के माथे पर लोटा हिंदी का सांप :
- उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के कुरावली में फरूखाबाद से बारात आई थी।
- बारात आने के बाद शादी की रश्में निभाई जा रही थी।
- इसी बीच दुल्हन ने हिंदी का ऐसा बिगुल फूंका कि दूल्हे माथे पर सांप लोट गया।
हिंदी के तीन शब्द ने शादी से पहले कराया तलाक :
- खबरों के मुताबिक दुल्हन ने दूल्हे को हिंदी के तीन शब्द ‘परिश्रम’, ‘दृष्टिकोण’ और ‘सांप्रदायिक’ लिखने को कहा था।
- दूल्हा अपना दृष्टिकोण लगाकर लिखने का परिश्रम कर रहा था कि दुल्हन ने सांप्रदायिक रूख अख्तियार करते हुए विवाह करने से मना दिया।
- फिर क्या पांचवीं पास दुल्हन ने लौटा दी इंटरमीडिएट पास दूल्हे की बारात।
अपने ही खेल में फंस गया बेचारा दूल्हा :
- इस कहानी में बड़ी बात ये है कि हिंदी परीक्षा की शरुआत खुद दूल्हे की ओर से की गई थी।
- दूल्हे मे दुल्हन को एक डायरी में अपना नाम और पता लिखने को कहा था।
- साथ ही हिंदी जांचने के लिए कुछ शब्द भी लिखवाए, लड़की ने सभी कुछ ठीक से कर दिया।
- फिर दुल्हन ने वही डायरी और पेन दूल्हे को थमा दी, जिसके बाद उसके पसीने छूटने लगे।
- दुल्हन ने ‘परिश्रम’, ‘दृष्टिकोण’ और ‘सांप्रदायिक’ लिखने को कहा।
- लेकिन दूल्हा बाबू ये तीन शब्द छोड़िए वह तो ठीक से अपना नाम भी नही लिख पाए।
- परिजनों ने इस मामले में लड़की को मनाने की काफी कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी।