लम्बे अरसे से विसंगतियां झेल रहें राजकीय वाहन चालकों की छह सूत्रीय मांगों के साथ राजकीय वाहन चालक महासंघ 19 सितम्बर से चक्का जाम कर अपनी भागेदारी निभायेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर हड़ताल की नौबत आई तो लाखों रूपये के राजस्व का नुकसान तो होगा ही, हड़ताल से यात्रियों को भी भारी परेशानियों से जूझना पड़ सकता है।
- संघ के अध्यक्ष त्रिलोक सिंह ने बताया कि लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के अधिनस्थ लगभग 2500 वाहन है।
- जिसमें विभागीय मंत्री, विभागाध्यक्ष की कारो से लेकर डम्फर, लोड़र, हाटमिक्स प्लांट सहित अन्य सभी वाहनों का चक्का जाम कर दिया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि महासंघ के आहवान पर मण्डलीय, जनपदीय अध्यक्ष एवं मंत्रियों की 18 सितम्बर को राजधानी में बैठक बुलाई गई है।
सीएम से की हस्तक्षेप की मांगः
- संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार नेगी ने इस आन्दोलन को रोकने के लिए सीएम अखिलेश यादव से हस्तक्षेप की मांग की।
- नेगी ने कहा कि चक्का जाम होने से सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान होगा।
- इसके साथ आम लोगों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- इसलिए हमने मुख्यमंत्री से इस मामले में दखल देने की मांग की है।
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क्या हैं मांगेः
- महासंघ की मुख्य मांगों में राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन 1900 की जगह 2000 रूपये करना है।
- राजकीय वाहन चालकों के प्रतिशत व्यवस्था उत्तराखण्ड सरकार की तर्ज पर प्रतिशत समाप्त करने की मांग रखी गई है।
- वाहन चालकों को मिलने वाला मानदेय मंहगाई भत्ते के साथ जोड़कर दिया जाए।
- वेतन आयोग के गठन के समय से लम्बे समय तक लिपिक संवर्ग तथा चालक संवर्ग का वेतन ग्रेड सी था।
- लेकिन पिछले सालों में लिपिक वर्ग का वेतन बढ़ाकर चालक वर्ग का वेतन कम कर दिया गया।
- संघ का आरोप है कि यह चालक संवर्ग के साथ गम्भीर भेदभाव है।