उत्तर प्रदेश में हो रहे साम्प्रदायिक तनावों के बाद सरकार ने जिलों में हो रहे पलायन पर रिपोर्ट मांगी है. इस मामले में सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश सचिव भगवान स्वरुप ने खत लिख कर डीजीपी और डिविजनल कमिश्नर्स से जानकारी मांगी है. सचिव ने 28 फरवरी 2017 तक किये गये पलायनों के बारे में रिपोर्ट मांगी है.
एक हफ्ते का दिया है वक्त:
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव के कारण हुए पलायन के मुद्दे उठ रहे है. इस मामले में यूपी सरकार ने डीजीपी और डिविजनल कमिश्नर्स को खत लिखकर इस बारे में जानकारी मांगी है. सरकार के सचिव भगवान स्वरुप ने 29 मार्च को पत्र लिख कर पुलिस उच्चाधिकारियों से रिपोर्ट जमा करने को कहा है. इसमें 28 फरवरी 2017 तक किए गए पलायनों के बारे में जानकारी और डेटा गृह मंत्रालय को देने के लिए कहा गया है. इसके लिए प्रशासन ने एक हफ्ते का समय दिया है. बता दें कि यह मुद्दा साल 2016 में भी उठाया जा चुका है।
सरकार ने सख्ती दिखाते हुए सीनियर अधिकारियों को इस बारे में 20 जून, 2017 को भी निर्देश दिए जाने के बावजूद गंभीरता से नहीं लेने के लिए फटकार लगाई है। पत्र में लिखा है- ‘जो जानकारी इस मामले में दी गई थी, वह मीडिया रिपोर्ट्स या इलाके के लोगों की भावनाओं से मेल नहीं खाती, खासकर पश्चिम यूपी में जहां से पलायन की खबरें आई थीं.’
कर्नाटक चुनाव: लिंगायतों ने किया कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान
2016 में उठा था मुद्दा :
इससे पहले यह मुद्दा कैराना के दिवंगत सांसद हुकुम सिंह ने जून 2016 में उठाया था. उन्होंने 250 हिंदू परिवारों की लिस्ट पेश करते हुए दावा किया था कि उन्हें इलाके में ‘विशेष समुदाय’ के लोगों से डर के कारण कैराना छोड़ना पड़ा था. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट ने उनकी बात को सही माना था.
उस वक्त इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था. उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले थे और बीजेपी ने समाजवादी पार्टी (एसपी) पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया था. यही नहीं, बीजेपी ने इस मुद्दे को अपने घोषणापत्र में जगह तक दे दी.