एक कहावत है…’सरकार बदलती है, निजाम नहीं’, ये कहावत उत्तर प्रदेश के अधिकारियों पर सौ फीसदी सही साबित हो रही है। उत्तर प्रदेश की सपा की सरकार जाने के बाद भी अधिकारी सरकारी खजाना को लूटने में जुटे हुए हैं। नई सरकार के शपथ-ग्रहण के पहले ही अधिकारी अपने-अपने विभागों में निविदा निकाल अपने चहेते ठेकेदारों को ठेका देने और अपने करीबियों की नियुक्ति करने में जुट गए हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता आईपी सिंह ने आरोप लगाया है कि नई सरकार के गठन के पहले ही अखिलेश सरकार के समय से वरिष्ठ पदों पर मौजूद अधिकारी सरकार जाने के बाद लूटने में लगे हुए हैं।
क्या है आरोप:
पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा पशुपालन निदेशालय, बादशाहबाग, लखनऊ स्थित भवनों, परिसर और शौचालय की सफाई के लिए वर्ष 2017-2018 के लिए निविदा अखबारों में निकाली गई है। तो वहीं प्रदेश के कई जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारी भी विज्ञप्ति निकाल प्राथमिक विद्यालय के लिए सहायक अध्यापक की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के लिए बुला रहे हैं. बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सहायक अधिकारी की भर्ती भी संदेह के दायरे में रही है.
क्या कहते हैं विभाग के निदेशक:
इस पूरे मामले पर जब पशुपालन विभाग के निदेशक (कंट्रोल) अमरेंद्र नाथ सिंह से बात हुई तो उन्होंने कहा कि चुनाव खत्म हो गया है और इस वित्तीय वर्ष में कुछ ही दिन शेष बचा हुआ है। यदि निविदा निकाल समय से साफ-सफाई की व्यव्स्था नहीं की गई तो इस मद के लिए आया धन वापस चला जाएगा। यह निविदा गैर कानूनी नहीं है।
तत्काल संज्ञान लें मुख्य सचिव:
वहीं इस मामले पर जब uttarpradesh.org ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता आईपी सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि, सरकार जाने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अधिकारी सरकारी खजाना लूटने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव राहुल भटनागर तत्काल प्रभाव से मामले का संज्ञान ले और सभी प्रकार के आवंटन और भुगतान पर रोक लगाएं।
बहरहाल, मामला चाहे जो भी हो लेकिन अब देखने वाली बात है कि इस पूरे मामले मुख्य सचिव राहुल भटनागर क्या कदम उठाते हैं। लेकिन एक मामले में प्रमुख सचिव आवास, सदाकांत ने अगले आदेश तक सभी आवंटन और भुगतान पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है। लेकिन बड़े अधिकारियों द्वारा सम्बंधित विभाग में निविदा निकाल ‘खजाना’ साफ़ करने का जो खेल चल रहा है, वो आगे कबतक जारी रहता ये देखने वाली बात है।