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‘दलितों के घर भोज’ से हो रही योगी सरकार की फजीहत

दलितों के बीच पैठ बनाने के लिए बीजेपी का ‘दलित के घर भोजन’ अभियान बैकफायर होता दिख रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ही अपने दलित भोज और रात्रि प्रवास से न केवल झूठी मंशा को दर्शा रहे हैं बल्कि दलितों और ग्रामीणों को 2019 के चुनाव से पहले अपने पक्ष में करने से ज्यादा उनको और अधिक रुष्ट करते नजर आ रहे है. 

‘ग्राम स्वराज अभियान’ के तहत उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओ द्वारा किया जाने वाला ‘रात्रि प्रवास’ और ‘दलित के घर भोजन’ आये दिन विवादों में रहता है. एक के बाद एक भाजपा मंत्री के ग्रामीण दौरे में दिख रही सच्चाई और उसके बाद उनकी बयानबाजी सरकार के निर्देशों के विपरीत एक अलग मंशा को दर्शाती है.  ऐसे कई मामले हैं, जिनसे भाजपा मंत्रियो के ‘रात्रि प्रवास’ और ‘दलित भोज’ ने उनकी ही छवि दूलित की है. जरा ऐसे मामलों पर नजर डालिए और खुद तय कीजिये…

सुरेश राणा दलित के घर लेकर पहुंचे हलवाइयों का खाना: 

योगी सरकार में राज्यमंत्री सुरेश राणा 2 मई अलीगढ़ दौरे पर पहुचे. सुरेश राणा सरकार के निर्देशों का पालन करने अलीगढ के तहसील खैर इलाके में एक दलित के घर पहुच तो गये, पर मंत्री जी अकेले नहीं गये. पुरे लाव-लश्कर के साथ पहुचें. उनके पहुचने से पहले ही दलित के घर के पीछे हलवाई साजो सामान के साथ पहुँच चुके थे.

खुद दलित को भी तब तक पता नही चला के आखिर माजरा क्या है. बहरहाल मंत्री जी पहुंचे और उन्होंने वहां सलाद, दाल-मखनी, छोले-चावल, पालक-पनीर, उड़द की दाल, मिक्स वेज, रायता, तंदूरी रोटी के अलावा मिठाई में गुलाब-जामुन, कॉफी और मिनरल वाटर का लुत्फ उठाया.

राज्यमंत्री सुरेश राणा होटल के खाने के साथ पहुंचे दलित के घर

जिसके बाद अधिकारियों ने उन्हें आगे का प्लान बताते हुए दलित के ही घर में रात्रि प्रवास के लिए कहा. मंत्री सुरेश राणा ने इससे इंकार कर दिया. जिसके बाद वे एक सामुदायिक केंद्र में रुके जहां उनके आराम के लिए वीआईपी बन्दोबस्त था.

सुरेश राणा का यह दलित भोज सुर्खियाँ बन गया तो उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज किया और सफाई देते हुए कहा कि उनके साथ करीब 100 लोग गए थे, इसलिए खाना हलवाई के पास से मंगवाया गया। राणा ने कहा, ‘मैंने उनके ड्रॉइंग रूम में खाना खाया। भोजन परिवार के सदस्यों के अलावा हलवाई के द्वारा भी तैयार किया गया था।’

दलितों के घर जाकर उन्हें धन्य करते है:राजेन्द्र प्रताप 

मुख्यमंत्री योगी के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया जिससे ऐसा लगा कि योगी सरकार का दलितों के घर जाने और भोजन करने का उद्देश्य ‘दलितों पर एहसान’ करना है. कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र प्रताप ने 3 मई को एक बहुत विवादास्पद बयान देते हुए बीजेपी नेताओं की तुलना भगवान राम से कर दी.

बात मात्र तुलना भर होती तो शायद यह विवाद नहीं चर्चा का विषय होता. विवाद तो इस बात पर बना कि जैसे भगवान श्री राम ने सबरी के बेर कहा कर उसे धनी किया वैसे ही भाजपा के मंत्रियों ने दलितों को धन्य करने का जिम्मा उठा रखा है. उनके बयान से तो यहीं साफ़ होता है.

दलितों के घर जाकर उन्हें धन्य करते है BJP नेता: CM योगी के मंत्री का बयान

कैबिनेट मंत्री ने अपने इस एहसान जताने वाले बयान में कहा, “जिस तरह से भगवान राम ने अपने शबरी के बेर खा कर उसे धन्य किया, वैसे ही भाजपा नेता दलितों के घरों में जाकर उनको धन्य करते हैं.”

दलितों को लुभाने के लिए बीजेपी नेताओं के हालिया प्रयासों की प्रशंसा करने के चक्कर में मंत्री राजेन्द्र प्रताप ने बीजेपी नेताओं की मंशा ही उजागर कर दी.

सूर्य प्रताप शाही का वीआईपी कल्चर:

उत्तर प्रदेश सरकार के एक और मंत्री 3 मई को सहारनपुर के एक गाँव पहुंचे थे. बात हो रही है सूर्य प्रताप शाही की, इनका दौरा भी ख़ास था, मंत्री सूर्य प्रताप शाही सहारनपुर के लखनौती गाँव पहुंचे, जहाँ इन्होने दलित के घर खाना खाने के बजाये गाँव के एक धर्मशाला में भोजन किया. लालाओं के इस धर्मशाला में खाना खाने के बाद मंत्री जी गाँव के एक ग्रामीण सरदार बूटा सिंह के घर पर रात्रि प्रवास के लिए रुके.

सूर्य प्रताप शाही ने ना तो दलित के घर भोजन किया और ना ही रात्रि प्रवास. पर अगले दिन सुबह का नास्ता करने 2 दलितों के घर जरुर गये. पर मंत्री जी अपने वीआईपी कल्चर को छोड़ने में असक्षम थे, उन्होंने ग्रामीण दलित के घर नास्ते में  ड्राईफ्रूट्स खाए.

सूर्य प्रताप शाही ने खाया धर्मशाला में खाना, नहीं छोड़ सके वीआईपी कल्चर

अनुपमा जायसवाल ने की दलितों के घर मच्छर काटने की शिकायत: 

योगी सरकार के मंत्री, विधायक कितनी मेहनत कर रहे हैं, इसका पता हमे तब तक ना चलता जब तक खुद राज्य शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ना बताती. उन्होंने बताया कि कैसे मंत्रियों को दलितों के घर रात्रि प्रवास के दौरान मच्छर काटते हैं, पर फिर भी वे दलितों के घर जाते है.

बीते दिन बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री जायसवाल ने कहा, “समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए योजनाएं बनायी जाती हैं. इसे लागू कराने और लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार के मंत्री कई क्षेत्रों में दौरा करते हैं. बावजूद इसके कि उन्हें सारी रात मच्छर काटते रहते हैं.” 

शिक्षामंत्री का यह बयान मंत्रियों की तारीफ़ कम दलितों का अपमान ज्यादा मालुम पड़ता है. शिक्षामंत्री का इस तरह का बयान राजेन्द्र प्रताप के दलितों को धन्य कर देने वाले बयान का समर्थन भी करता है.

‘मच्छर काटते हैं, फिर भी मंत्री दलितों के घर जाते हैं’: अनुपमा जायसवाल

भाजपा विधायक ने बताया इसे ढ़ोंग:

उत्तर प्रदेश की बहराइच लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने भी भाजपा मंत्रियों के दलितों के घर भोजन करने को लेकर सवाल उठाए हैं। दलित मंत्री ने कहा, “बीजेपी नेताओं का दलित के घर जाना और खाना-पीना दलितों का सबसे बड़ा अपमान है. बीजेपी नेता दलितों के यहां दिखावा कर रहे हैं. यहां वे होटल में पका भोजन कर रहे हैं.’

दलित विधायक सावित्री बाई फूले ने बीजेपी के मंत्रियो द्वारा सोशल मीडिया पर दलितों के साथ खाने की तस्वीरें शेयर करने पर भी हमला बोला।

सावित्री ने कहा, ‘दलित के यहां रुककर उसको फेसबुक और सोशल मीडिया पर दिखाना दलितों का बड़ा अपमान है। दलित के घर खाना खाने सब जा रहे हैं लेकिन दलितों के हक की बात कोई नहीं करता।’

RSS को भी लगता है BJP का दलित भोज एक दिखावा:

आरएसएस ने भी बीजेपी के दलितों के घर खाना खाने के कार्यक्रम को दिखावा बताया है. आरएसएस ने बीजेपी को सलाह दी है कि इस तरह के दिखावे से बचना चाहिए. आरएसएस के मनमोहन वैद्य ने एक बीजेपी के इस तरह के कार्यक्रम पर नाराजगी भी जताई है.

आरएसएस की ओर से कहा जा चुका है कि जिस तरह से दलितों के घर खाना खाने का ढोंग किया जा रहा है वो गलत है. बीजेपी भले ही ये सामाजिक रणनीति के तहत ये कर रही हो लेकिन ये गलत है.

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