उत्तरप्रदेश वैसे तो हमेशा से ही भ्रष्टाचार व अपराधो की नगरी के रूप में जाना जाता है, परंतु यहाँ भ्रष्टाचार करने वाले कोई और नहीं बल्कि खुद ऐसे अधिकारी होते हैं जो पहले तो कठिन परिश्रम कर परीक्षा पास करते हैं, परंतु पद पर बैठते ही केवल अपनी जेबें भरने में विश्वास करते हैं। बता दें कि उत्तरप्रदेश में कई ऐसे IAS अधिकारी हैं जो भ्रष्टाचार की परिभाषा हैं।
IAS नवनीत सहगल( ताज कॉरिडोर, आगरा एक्सप्रेस-वे)
- बसपा सुप्रीमो मायावती की सरकार के कार्यकाल में हुए बहुचर्चित ताज कॉरिडोर मामले में एक IAS अधिकारी घेरे में आये थे।
- बता दें कि, यह IAS अधिकारी कोई और नहीं सड़क हादसे में चोटिल होने वाले नवनीत सहगल हैं।
- नवनीत सहगल उन चंद अधिकारियों में से एक हैं जिन्होंने मायावती और अखिलेश दोनों सरकारों में पद संभाला है।
- उत्तरप्रदेश के ताज कॉरिडोर मामले से इनका नाम जोड़ा जाता है।
- बता दें कि यह घोटाला करीब 176 करोड़ की कीमत का था।
- जो देश के बड़े घोटालों में से एक माना जाता है।
- इसके साथ ही नवनीत सहगल पर एक महिला को कॉरिडोर मामले में धमकाने के आरोप लगे थे।
- दरअसल अनुपमा सिंह नाम की एक महिला ने ताज कॉरिडोर मामले में कोर्ट में याचिका दायर की थी।
- जिसके बाद से ही महिला को लगातार धमकी भरे संदेश आने लगे थे।
- जिसके बाद महिला द्वारा FIR दर्ज कराई गयी थी, जिसमें IAS नवनीत सहगल के नाम का उल्लेख किया गया था।
- इसके अलवा नवनीत सहगल का नाम NRHM मामले में भी शामिल है।
- बता दें कि फिलहाल नवनीत सहगल अखिलेश सरकार के अंतर्गत प्रमुख सचिव सूचना के पद पर कार्यरत हैं।
- IAS नवनीत सहगल पर ताज कॉरिडोर के अलावा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे में भी धांधली के आरोप लगे थे।
- जिसमें कहा गया था कि, एक्सप्रेस-वे के प्रोजेक्ट का अनुमोदन वित्तीय हैण्डबुक की धज्जियाँ उड़ाकर किया गया है।
- गौरतलब है कि, एक्सप्रेस-वे के निर्माण में मानकों के आधार पर 40 प्रतिशत अधिक खर्च किया गया है।
- इसके साथ ही नवनीत सहगल पर सड़कों के एलाइनमेंट को बदलवाकर अपने करीबियों को वहां जमीन दिलवाने के भी आरोप हैं।
- साथ ही पूरी प्रक्रिया में चुने हुए ठेकेदारों को पूर्व में तय किये गए ठेके दिए गए, साथ ही हजारो करोड़ों के लेन देन के आरोप भी नवनीत सहगल पर हैं।
1981 बैच के IAS प्रदीप शुक्ला:
- उत्तरप्रदेश के IAS अधिकारी प्रदीप शुक्ला पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
- गौरतलब है कि, प्रदीप शुक्ला अपने बैच के टॉपर रहे थे, परंतु कार्यकाल के दौरान IAS प्रदीप पर कई आरोप लगे थे।
- प्रदीप शुक्ला का नाम NRHM घोटाले में बसपा सरकार के मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के साथ मुख्य आरोपी के तौर पर आया था।
- गौरतलब है कि, NRHM घोटाला करीब 10,000 करोड़ रुपये का था।
- ज्ञात हो कि, प्रदीप शुक्ला हमेशा से ही इस परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक मिसाल थे।
- परंतु इस मामले में उनका नाम आते ही इस आदर्श की परिभाषा का मायना ही बदल गया।
- आईएएस प्रदीप शुक्ला कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं,
- परंतु प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण रहे प्रदीप शुक्ल की इस घोटाले में गिरफ्तारी बड़े ही नाटकीय ढंग से हुई थी।
- प्रदीप शुक्ला जब दिल्ली से लौटकर लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरे थे,
- तब सीबीआई ने उन्हें 11 मई 2012 को सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर गिरफ्तार किया था।
- सीबीआई ने घंटों पूछताछ करने के बाद उन्हें गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में पेश करने के बाद रिमांड पर ले लिया था।
- बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया था, जहाँ से उन्हें ज़मानत मिल गयी थी।
- साथ ही अखिलेश सरकार के अंतर्गत उन्हें राजस्व परिषद में नियुक्ति दे दी गयी थी।
IAS अधिकारी नीरा यादव :
- सूबे के IAS अधिकारियों में आदर्श मानी जाने वाली नीरा यादव भी भ्रष्टाचार के आरोपों से अछूती नहीं रहीं थीं।
- साल 1993-94 के बीच नीरा यादव नॉएडा अथॉरिटी की चेयरमैन थीं।
- जिसके तहत उनपर आरोप लगा था कि, उन्होंने बैक डेट में जाकर प्लाट के लिए आवेदन किया था।
- साथ ही अपने पद का दुरोपयोग कर उसके चेक को भी बैंक में बैक डेट में जमा किया था।
- इतना ही नहीं नीरा यादव पर अपनी दो बेटियों के लिए भी गलत तरीके से प्लाट खरीदने के आरोप लगे थे।
- जिसके बाद इस मामले पर वर्ष 1998 में जांच बैठाई गयी थी।
- जांच की कार्रवाई के बाद नीरा यादव को सज़ा सुनाई गयी थी।
IAS राजीव कुमार:
- सूबे के IAS राजीव कुमार भी बसपा और सपा सरकार के कुछ चुनिन्दा चहेते अधिकारियों में से एक रहे थे।
- CBI कोर्ट ने 20 नवम्बर 2012 को राजीव कुमार को तीन साल की सजा सुनाई थी।
- इसके बाद राजीव कुमार को प्रमुख सचिव नियुक्ति से हटाकर यूपी प्रबंधन अकादमी के महानिदेशक पद की जिम्मेदारी दी गयी थी।
- हाई कोर्ट के सजा बहाल करते ही राजीव कुमार को वेटिंग में डाल दिया गया था।
- IAS राजीव कुमार पर आरोप था की उन्हें सेक्टर 51 में बी-86 प्लाट आवंटित किया गया था।
- जिसे उन्होंने सेक्टर 44-ए में और फिर इसे सेक्टर 14-ए में 300 वर्गमीटर के भूखंड में परिवर्तित करवा दिया था।
- इसके अलावा प्लाट के पास की 105 मीटर की ग्रीन बेल्ट को भी प्लाट में बदल दिया था।
IAS अनुराधा शुक्ला:
- सूबे के IAS अधिकारी प्रदीप शुक्ला के साथ ही उनकी पत्नी अनुराधा शुक्ला पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
- अनुराधा शुक्ला के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि, 2008 से 2015 तक अनुराधा शुक्ला यूपी भूमि सुधार निगम की प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थीं।
- अखिलेश सरकार में 13 जुलाई 2012 को अनुराधा शुक्ला को नोएडा विकास प्राधिकरण में OSD का चार्ज दे दिया गया।
- गौरतलब है कि, यह पद पीसीएस अफसर के स्तर का था।
- इसके अलावा अनुराधा शुक्ला के सरकारी आवास पर 25 एसी लगाये गए थे, जिनका खर्च नोएडा अथॉरिटी द्वारा वहन किया जाता था।
- वहीँ अनुराधा शुक्ला के सरकारी बंगले के सौन्दर्यीकरण पर नोएडा अथॉरिटी की ओर से 37 लाख रुपये भी खर्च किये गए थे।
- इतना ही नहीं यह बंगला CEO रमण सिंह के लिए प्रस्तावित था, जिसे अनुराधा शुक्ला ने अपने नाम पर करवा लिया था।
- गौरतलब है कि, सभी अफसरों को अपने आवास का बिजली बिल भुगतान करना होता है।
- लेकिन अनुराधा के मामले यह अपवाद था, उनका यह खर्च भी सरकारी पैसे से ही कटता था।
IAS राकेश बहादुर:
- राकेश बहादुर सिंह एक मात्र ऐसे IAS अधिकारी हैं जिन्होंने,
- “मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव की सरकारों में काम किया है”।
- राकेश बहादुर पर नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष रहते हुए करीब 4,721 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगे थे।
- IAS राकेश के साथ ही संजीव सरन पर भी इस घोटाले के आरोप लगे थे।
- हालाँकि, बसपा की सरकार में 2009 में IAS राकेश बहादुर को निलंबित कर दिया गया था।
- लेकिन तब तक राकेश बहादुर बसपा की सरकार में 2 साल गुजार चुके थे।
- साल 2012 में एक बार फिर से सपा सरकार के आते ही राकेश बहादुर की बहाली कर दी गयी।
- जिसके बाद साल 2013 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद राकेश बहादुर को अपने पद से हटना पड़ा था।
- साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश दिए थे कि, इनकी नियुक्ति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में न की जाए।