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यूपी पुलिस की ट्विटर पर ‘मुठभेड़’, एमनेस्टी इंटरनेशनल ‘ढेर’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार में यूपी पुलिस ताबड़तोड़ एनकांउटर कर रही है। अभी पिछले एक सप्ताह से यूपी पुलिस को गोलियों की गड़गड़ाहट से अपराधी दहशत में आ गए हैं। जितने भी खूंखार अपराधी हैं वह जेल से बाहर खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अभी हाल ही के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो एक हप्ते के भीतर दो दर्जन से अधिक मुठभेड़ के दौरान करीब 5 अपराधी ढेर हुए हैं। जबकि 3 दर्जन से अधिक गिरफ्तार किये जा चुके हैं।

ट्विटर पर बिना गोला बारूद के मुठभेड़

इन एनकाउंटर्स के बीच ट्विटर की दुनिया में यूपी पुलिस की मुठभेड़ एमनेस्टी इंडिया से हो गई। यहां विश्व के सबसे बड़े पुलिस बल ने बिना गोली बारूद के ही मानवाधिकार संगठन को ढेर कर दिया। दरअसल एमनेस्टी इंडिया ने 6 फरवरी को दोपहर में एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में बताया गया कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद 900 लोगों की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है। एमनेस्टी ने लिखा “राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानता है कि यूपी पुलिस अपने अधिकारों का ग़लत प्रयोग कर रही है”

फौरन दिया करारा जबाव

यूपी पुलिस की सोशल मीडिया की टीम को जैसे ही एमनेस्टी इंडिया के इस ट्वीट के बारे में पता चला। फौरन ‘एक्शन’ में आई पुलिस ने अपने जबाव में ट्वीट किया “आपने संख्या बताने में बड़ी भूल की है, मुठभेड़ में सिर्फ़ 37 लोग मारे गए हैं और आपने ज़िंदा लोगों को भी मरा हुआ बता दिया, ऐसा तो न करें, वैसे हम पूरा रिसर्च कर आपको लीगल नोटिस भेजेंगे” हालांकि इस घटना के बाद कुछ लोगों ने तो एमनेस्टी को देश विरोधी तक बता दिया। वहीं आकार पटेल के बारे में भी अनाप शनाप लिखा जा रही हैं। पटेल भारत में इस संस्था के बॉस माने जाते हैं।

एमनेस्टी इंडिया के ऑफिस में मचा हड़कंप

सोशल मीडिया में ख़ास तौर से ट्विटर पर यूपी पुलिस बहुत सक्रिय रहती है। बताया जा रहा है कि इस ट्वीट का पता चलते ही एमनेस्टी इंडिया के ऑफिस में हड़कंप मच गया। क़ानूनी सलाह लेते हुए तुरंत ट्वीट किया गया कि “मरे और घायलों की संख्या बताने में हमसे भूल हुई” लेकिन एमनेस्टी ने अब तक पुराना वाला ट्वीट डिलीट नहीं किया है। इस घटना के बाद ट्विटर पर लोगों ने यूपी पुलिस के समर्थन में एमनेस्टी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। तरह तरह की बातें लिखी जा रही है।

ग़ैर सरकारी संस्था है एमनेस्टी इंटरनेशनल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मानवाधिकार हितों के लिए लड़ने का दावा करने वाली एमनेस्टी इंटरनेशनल एक ग़ैर सरकारी संस्था है। जिसका हेड ऑफ़िस लंदन में है। इसे शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है। ये संस्था 160 देशों में काम करती है। भारत में ये संस्था 1966 में आई। यहां इसे एमनेस्टी इंडिया के नाम से जाना जाता है।

गौरतलब है कि सपा-बसपा की सरकारों में समाप्त हुए कानून के इकबाल को योगी सरकार ने कायम किया है। अपराधियों से होने वाली मुठभेंडो से कानून का रसूख बडा है और अपराधियों ने घुटने टेके हैं। प्रदेश में पिछले दिनों पुलिस द्वारा महज 72 घंटो में 23 मुठभेंडो में तीन दुर्दांत अपराधियों को ढेर करने के साथ 34 बदमाशों की गिरफ्तारी से अपराध के खात्में के लिए तेजी से कानून का डण्डा घूमा है।

 

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