शहर में बिजली व्यवस्था को सुधारने, उपभोक्ताओं को सुविधाएं देने के बिजली विभाग के दावे हवा में हैं. वायुसेना में कारपोरेल पद से रिटायर सीनियर सिटीजन को बिजली निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने परेशान कर दिया है.

बिजली विभाग की बड़ी लापरवाही:

चार कमरे के मकान में एक माह के अंदर दो लाख रुपए का बिल देखकर रिटायर वायुसेना कर्मचारी हैरान हैं. बिजली सब स्टेशन का चक्कर काटने के बाद उन्होंने ऊर्जा मंत्रालय से शिकायत दर्ज कराई तो कर्मचारी मामला मैनेज करने का दबाव बनाने लगे हैं. बता दे बिजली काटने की भी धमकी मिल रही है। शिकायत के चक्कर में दौड़ भाग कर रहे सीनियर सिटीजन 18 अप्रैल को बक्शीपुर सब स्टेशन में रिक्शे से गिरकर घायल हो गए थे.

बिजली निगम के रवैये से आहत हैं रामेश्वर दत्त:

गोरखपुर एयरफोर्स के संचालन में विशेष योगदान देने वाले बुजुर्ग जिन्होंने पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए कई कार्य किए उनको भी सहयोग नहीं मिल सका. गृह मंत्रालय के नागरिक सुरक्षा कोर के डिविजनल वार्डेन पद से 2004 में रिटायर हुए रामेश्वरदत्त पूरी व्यवस्था से बेहाल हो गए हैं.

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उनका कहना है कि जब देश की रक्षा सेवाओं से जुड़े लोगों का यह हाल है, तो आम लोगों का क्या होगा.

कर्मचारी शिकायत करने पर बना रहे दबाव:

सात मार्च 2018 गोरखपुर के बक्सीपुर उपकेंद्र के घरेलू उपभोक्ता रामेश्वर दत्त मिश्र को पहला बिल आया. जो कि 26 फरवरी से 7 मार्च तक बिजली विभाग के तथाकथित रीडिंग चेक करने के बाद रुपए 20226 था. इतना अधिक बिल आने पर उपभोक्ता ने नौ मार्च को ऑनलाइन शिकायत ( ID 8713790219) दर्ज कराई.

शिकायत के बाद उपभोक्ता को 17 मार्च को दूसरा बिल मिला जो कि 49255 रुपए का था .इसकी शिकायत उपभोक्ता ने की फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई. तब परेशान होकर उपभोक्ता ने ऊर्जा मंत्रालय में 7 अप्रैल को शिकायत की. 10 अप्रैल को विभाग द्वारा किसी को रीडिंग लेने भेजा।

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ऊर्जा मंत्रालय ने जब शिकायत की जांच करने का आदेश दिया तो बक्शीपुर सब स्टेशन पर तैनात कर्मचारियों ने 77 वर्षीय बुजुर्ग उपभोक्ता को हड़काना शुरू कर दिया.

गुस्साएं कर्मचारियों ने यहां तक कह दिया कि इस मामले को यहीं से समझ लिया जाता. ऊपर शिकायत करने से क्या फायदा मिलेगा. हर चीज ऊपर तक पहुंचती है.

इसके बाद फिर से दो बिल भेज दिए गए. समस्या का कोई समाधान हो पाता, इसके पहले नया बिल जनरेट हो गया. उस पर दो लाख 39 हजार रुपए का बकाया बताया गया. इतना बिल देखकर उपभोक्ता परेशान हो गए.

गलत रिपोर्ट लगाकर उपकेंद्र ने किया गुमराह:

उपभोक्ता का कहना है कि उनकी शिकायत पर बिजली निगम के अधिकारियों ने झूठी रिपोर्ट लगाई. ऊर्जा मंत्रालय को बताया गया कि इंजीनियर ने 20 अप्रैल को शिकायकर्ता के परिसर का निरीक्षण किया. लेकिन मौके पर कोई भौतिक सत्यापन नहीं किया गया. न ही किसी कर्मचारी ने मीटर की चेकिंग की.

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बिल में सुधार न होने पर अधिकारियों ने धमकाना शुरू कर दिया. बाद में बताया कि मीटर स्टोर होने से यह नौबत आई. एक माह के भीतर चार बार मीटर स्टोर होने पर उसे ठीक नहीं किया गया. बल्कि झूठी सूचना देकर मंत्रालय को भी गुमराह करते रहे.

ऊर्जा मंत्री से शिकायत मामला हुआ हाईलाइट: जेपी यादव

इस गंभीर समस्या के बावत अधिशासी अभियंता, बक्शीपुर का पक्ष लिया गया तब श्री यादव ने बताया कि इनकी रीडिंग मीटर में स्टोर थी. उसी का चार्ज हुआ है. उपभोक्ता को कोई गलत बिल नहीं दिया गया है. वह काउंटर पर आकर खुद रीडिंग बताकर बिल बनवा लेते थे. ऊर्जा मंत्री से शिकायत पर यह मामला हाईलाइट हो गया है. इसमें विभाग की कोई गड़बड़ी नहीं है.

उपकेंद्र के जिम्मेदारों का विरोधाभाषी बयान:

अधिशासी अभियंता का कहना है रीडिंग मीटर में स्टोर थी, इसलिए बिल ज्यादा आया। विभागीय कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान उठाने के लिए वर्जन ही पर्याप्त है क्योंकि 26 फरवरी से 7 मार्च को विभाग के रीडिंग के अनुसार ही 20226 रुपये का बिल आया।

9 मार्च को गलत रीडिंग की शिकायत केस आईडी के साथ दर्ज की गईं। पुनः 17 मार्च को 49255 रुपए का बिल बन गया।

7 अप्रैल को उपभोक्ता द्वारा ऊर्जा मंत्रालय को शिकायत मेल करने पर 10 अप्रेल को मीटर रीडिंग ली गई , अब बिल 72969 का बताया गया

बार बार उपकेंद्र का चक्कर लगाने के बाद 20 अप्रेल को पुनः किसी कर्मचारी ने रीडिंग ली और इस बार बिल 20 लाख से ज्यादा का बताया गया। उस कर्मचारी से मीटर की शिकायत करने पर उसने उपकेंद्र में आकर अभियन्ता से सम्पर्क करने की सलाह दे दी।

प्रकरण की जांच कराई जाएगी:एके सिंह

पूर्व सैनिक के इस मामले को लेकर महानगरीय विद्युत वितरण मंडल के एसई एके सिंह ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा, “इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी. मीटर स्टोर होने से यह स्थिति आ सकती है. इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाही की जाएगी।

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मुख्यमंत्री निवास से त्रुटि दूर करने का मिला निर्देश:

वहीं इस मामले में गोरक्षनाथ मंदिर स्थित मुख्यमंत्री निवास में उपभोक्ता ने 28 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी के नाम पत्र लिखा। जिसके बाद वहां से अधिशासी अभियंता को उस पत्र के जरिये निर्देश दिया गया कि मामलें की जांचकर आवेदक का बिल ठीक कराया जाये।

 

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