केंद्र की मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा संसद में वर्ष 2017-18 का जो आम बजट कुल व्यय 21.47 लाख करोड़ का पेश किया गया।
- उसमें देश के ऊर्जा क्षेत्र को काफी निराशा हाथ लगी है।
- इस आम बजट में ऊर्जा क्षेत्र की अनदेखी से यह सिद्ध हो गया है कि आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र में निजी घरानों का बोल बाला बढ़ेगा और जिसका खामियाजा जनता भुगतेगी।
- मोदी सरकार को हर गांव को बिजली देने के नारे से हटकर अब हर घर को बिजली देने की करनी होगी।
- बात तभी ऊर्जा क्षेत्र में जनता को न्याय मिलेगा।
- अभी भी देश में 45 प्रतिशत घरों को नसीब नहीं है बिजली ऐसे में विद्युतीकरण के लिये बजट में 4814 करोड़ का प्रावधान ऊॅट के मुंह में जीरा साबित होगा।
ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ाने के लिये तो बड़े-बड़े दावे
- केंद्र की मोदी सरकार ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ाने के लिये तो बड़े-बड़े दावे करती है।
- आज बजट पेश करते हुए जेटली ने उम्मीद जाहिर की है कि 1 मई, 2018 तक सभी गांवों को बिजली उपलब्ध हो जायेगी।
- सवाल यह उठता है कि जिस देश में गांव से ज्यादा मजरों और कस्बों की संख्या हो, वहां पर केवल हर गांव तक बिजली पहुंचाने का कोई मतलब नहीं होगा।
- बल्कि इसबार देश की जनता को यह उम्मीद थी कि इस आम बजट में देश के हर घर को बिजली पहुंचाने हेतु बड़ा बजट आवंटित किया जायेगा।
- केंद्र की मोदी सरकार शायद यह भूल गयी कि उप्र में भाजपा द्वारा अपने घोषणा-पत्र में हर घर को 24 घण्टे बिजली 2 साल में बिजली पहुंचाने की बात कही गयी है।
- जो आने वाले समय में लालटेन युग के भरोसे ही रहेगा।
- ऐसे में उत्पादन के क्षेत्र में कम से कम इस बजट में बड़ा प्रावधान किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया।
- ऐसे में ऊर्जा क्षेत्र पुनः धीमी रफ्तार से ही चलेगा और निजी घराने अपनी मनमानी चलायेंगे।
बिजली देने के लिये बजट ऊॅट के मुंह में जीरा
- उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा कौंसिल के स्थाई सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में विद्युतीकरण के लिये दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत वर्ष 2017-18 के लिये आज जो बजट में प्रावधान किया गया है।
- वह रू, 4814 करोड़ है, जो निश्चित तौर पर हर घर को बिजली देने के लिये ऊॅट के मुंह में जीरा साबित होगा। पूरे देश के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में कुल ग्रामीण क्षेत्र में घरों की संख्या 167826730 है।
- जिसमें अभी तक केवल 55.30 प्रतिशत घरों को बिजली मिल पायी है।
- इसी प्रकार उप्र में कुल ग्रामीण क्षेत्रों के घरों की संख्या 25475071 है।
- जिसमें अभी तक मात्र 6054978 घरों को बिजली मिली है, यानि कि 23.77 प्रतिशत घर बिजली से जगमग हैं।
- आजादी के बाद अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में 19420093 घरों को बिजली नसीब नहीं हुई।
- ऐसे में बजट में बड़ा प्राविधान किया जाना चाहिए था।
पैनल के माध्यम से बिजली देने की योजना
- उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि सोलर पॉवर के तहत द्वितीय चरण में कुल 20 हजार मेगावाट का जो लक्ष्य रखा गया है।
- यह कहा जा रहा है कि देश के 7 हजार रेलवे स्टेशनों को भी सोलर पैनल के माध्यम से बिजली देने की योजना है।
- जब तक सोलर पावर के तहत पारदर्शी नीति नहीं बनेगी तब तक कुछ होने वाला नहीं है।
- आज भी देश में अन्य बाहरी देशों के नाम पर चायनीज सोलर पैनल बड़े पैमाने पर आयातित हो रहे हैं, जिस पर विशेष नजर रखने की आवश्यकता है।
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