भले ही यूपी की पूर्व अखिलेश सरकार पर उंगली उठाने वाली भाजपा सरकार अपनी विकास योजनाओं की ताल ठोंक रही हो लेकिन आंकड़ों में भाजपा सरकार के दावे सपा सरकार के आगे फेल होते दिख रहे हैं। उदाहरण के तौर पर हम आप के सामने 302 किलोमीटर लंबा ‘लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे’ और 135 किलोमीटर लंबे ‘ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे’ के आंकड़े दिखा रहे हैं। इन आंकड़ों से भाजपा सरकार की हकीकत आप को खुद पता लग जायेगी और आंकड़े देखकर आप खुद चौंक जायेंगे।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे और लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे :आंकड़ों में तुलना
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे-
- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे 135 किमी लम्बा 6 लेन चौड़ा एक्सप्रेस वे है।
- जिसके निर्माण में सरकार ने 11 हज़ार करोड़ रूपए लगाये हैं।
- PIB भारत सरकार की माने तो इस एक्सप्रेस वे के लिए 7700 करोड़ रूपए का भूमि अधिग्रहण किया गया है.
- ये एक्सप्रेस वे नेशनल हाईवे वन ‘NH-1’ हरियाणा के सोनीपत के पास कोंडली से शुरू होता है।
- जो की बागपत , गाज़ियाबाद , गौतमबुद्ध नगर , फरीदाबाद से होता हुआ पलवल पर NH-2 से जुड़ता है।
- केन्द्रीय मंत्री का कहना है कि ये एक्सप्रेस-वे देश का पहला एक्सिस कंट्रोल एक्सप्रेस-वे है।
- इस एक्सप्रेस वे के पूरा होने के बाद दिल्ली एनसीआर और उत्तर भारत का तेजी से विकास होगा।
- एक्सप्रेस वे बनने के बाद पंजाब से हरियाणा जाने वाले वाहनों को भी दिल्ली के भारी से जूझना नही पड़ेगा।
- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे परियोजना का काम छह पैकेजों में विभाजित किया गया है।
- 390 संरचनाओं वाले इस एक्सप्रेस वे पर दो प्रमुख पुल यमुना नदी पर जबकि हिंडोन और आगरा नहर पर एक बड़ा पुल है।
- साथ ही इस एक्सप्रेस वे पर 8 इंटरचेंज, 4 फ्लाइवर, 71 वाहन अंडरपास, 6 आरओबी भी बनाये गए हैं.
- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुल 98 गाँव से होकर निकलता है.
- जिसमे हरियाणा के 32 जबकि उत्तर प्रदेश के 66 गाँव शामिल हैं.
- इस में सबसे ज्यादा 39 गाँव यूपी के गौतमबुद्ध नगर के हैं.
- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के निर्माण की शुरुआत 14 सितम्बर 2015 में की गई थी।
- फिलहाल अभी भी इसका निर्माण कार्य जारी है.
- जिसके समाप्त होने की सम्भावना अगस्त 2017 तक है।
- ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के निर्माण में जहाँ स्मार्ट हाईवे हाईटेक ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (HTMS) का इस्तेमाल किया गया है.
- वहीँ यहाँ वीडियो इंसिडेंट डिटेक्शन सिस्टम ‘VIDS’ का भी प्रयोग किया गया है.
- बिजली बचाने के लिए इस एक्सप्रेस वे पर सोलर एनर्जी हाईवे लाइट भी लगवाई गई हैं।
- यही नही एक्सप्रेस वे पर हरियाली का भी विशेष ख्याल रखा गया है।
- जिसके लिए 2.5 लाख पेड़ लगवाए गए हैं।
- इस एक्सप्रेसवे का निर्माण नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा किया गया है।
लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे
- लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश की पूर्व अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है.
- जिसके निर्माण में 10155 करोड़ रूपए का इस्तेमाल किया गया है.
- 302 किमी लम्बे इस एक्सप्रेस वे को बनाने में महज़ 22 महीने का समय लगा है।
- अखिलेश सरकार का दावा है की इतनी दूरी का एक्सप्रेस वे देश में कभी इतनी तेज़ नही बनाया गया।
- फिलहाल ये एक्सप्रेस वे 6 लेन चदा बनाया गया है जिसे बाद में 8 लेन चौड़ा किया जा सकता है।
- लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के सभी पुलों को 8 लेन का बनाया गया है।
- साथ ही इस एक्सप्रेस वे पर 4 किलो मीटर लम्बा रनवे भी बनाया गया है।
- जिसकी टेस्टिंग भारतीय वायुसेना के सुखोई फाइटर विमानों द्वारा की गई।
- यहाँ पर सभी तरह के आधुनिक उपकरण भी लगाये गए जिससे किसी भी दुर्घटना की तुरंत जानकारे मिल सकेगी।
- यही नही आप इस एक्सप्रेस वे से लखनऊ से आगरा का सफ़र महज़ 3 घंटे में पूरा कर लेंगे।
- लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे लखनऊ के मोहान रोड के करीब भादोसा गाँव से शरू होता है।
- जोकि हरदोई ,उन्नाव , कानपुर , कन्नौज ,औरैया ,इटावा , मैनपुरी ,फिरोजाबाद , शिकोहाबाद होता हुआ आगरा के एत्मादपुर मदरा पर खत्म होता है।
- इस एक्सप्रेस वे में 4 रेल ओवर ब्रिज,13 बड़े पुल, 57 छोटे पुल, 74 अंडरपास, 148 पैदलअंडरपास, 9 फ्लाईओवर बनाये गए हैं।
- जबकि हरियाली हरियाली के लिए 3 लाख पेड़ भी लगाये गए हैं।
- इस एक्सप्रेस वे के लिए लगभग 6350 करोड़ रूपए की भूमि भी अधिगृहित की गई थी।
- इस एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा किया गया है।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें