मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता सम्हालते ही प्रदेश में बढ़ रहे अपराध को रोकने के लिए प्रशासन को काम सौप दिया था.
3 महीने बाद विधानसभा में दोबारा पास हुआ बिल:
संगठित अपराध, माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए उन्होंने कोई कठोर कानून लेन की बात कही थी. इसके बाद तत्कालीन गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र ने मुंबई, दिल्ली और बिहार समेत कई राज्यों में संगठित अपराध के लिए बनाए गए कानून के बारे में जानकारी जुटाई. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी ने महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) की तर्ज पर 21 दिसंबर, 2017 को यूपीकोका विधानसभा में पेश किया था लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इस प्रवर समिति भेज दिया था।
विशेष न्यायालय का होगा गठन:
उत्तर प्रदेश के विधानसभा सत्र के आखिरी दिन प्रदेश में संगठित क्राइम को रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा पेश किया गया यूपीकोका विधयक आम सम्मति से पास हो गया है। यूपीकोका की श्रेणी में आने वाले अपराध के निपटाने के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालय का गठन करेगी। ताकि जल्द से जल्द मामलों का निपटारा किया जा सके।
यूपीकोका बिल की ख़ास बातें:
आपराधिक मामलों की जांच पहले कमिश्नर और आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे ताकि कानून के गलत इस्तेमाल से बचा जा सके. यानी इसके लिए बड़े लेवल के पुलिस अधिकारी से स्वीकृति लेनी होगी. स्वीकृति मिलने के बाद पुलिस आरोपी के खिलाफ इस कानून के तहत केस दर्ज कर सकती है.
अपराधियों की संपत्ति राज्य सरकार द्वारा जब्त की जा सकती है. यह कोर्ट की अनुमति के बाद ही किया जा सकेगा. इस विधेयक के लागू होने के बाद संगठित अपराध करने वाले किसी भी अपराधी को सरकारी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी. इसमें सजा का भी काफी कठोर प्रावधान है.
ऐसे लागू होगा यूपीकोका:
एसपी-डीएम अपने जिले के अपराधियों पर यूपीकोका की पहली कार्यवाही करने के लिए सूची बनाकर आईजी रेंज से परमिशन लेंगे. इसके बाद गिरोह पर यूपीकोका के तहत चार्जशीट दाखिल होने से पहले एडीजी जोन के अफसर से परमिशन लेनी होंगा. इसके बाद यूपीकोका के तहत हुई कार्यवाही का मुकदमा जिले की विशेष अदालत में सुनाया जाएगा. यूपीकोका कानून के तहत अरेस्ट होने वाले अपराधियों को जेल से 6 महीने के बाद ही जमानत हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही मिल पाएगी.
यूपीकोका में क्या है सजा का प्रावधान:
यूपीकोका बिल में अपराधियों के लिए सजा के काफी कड़े प्रावधान हैं. इस प्रस्तावित कानून में गिरफ्तार किए गए अपराधी को छह महीने तक के लिए जमानत नहीं मिलेगी.
इस कानून के तहत अपराधी को तभी गिरफ्तार किया जाएगा. जब उसे इससे पहले दो संगठित अपराध में शामिल पाया गया हो और उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई हो.
यूपीकोका कानून के तहत जिन अपराधियों को गिरफ्तार किया जाएगा उनके खिलाफ 180 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होगी. मौजूदा कानून के अनुसार जो अपराधी गिरफ्तार किए जाते हैं उनके खिलाफ 60 से 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करने होती है.
ऐसे में यूपीकोका कानून के तहत गिरफ्तार किए गए अपराधी के लिए मुश्किल काफी बढ़ जाएगी और उसे छह महीने से पहले जमानत नहीं मिल सकती है.
यूपीकोका कानून के तहत पुलिस अपपराधी को 30 दिन तक रिमांड में ले सकती है, जबकि मौजूदा कानून के तहत पुलिस अपराधी को सिर्फ 15 दिनों तक के लिए ही रिमांड में ले सकती है.
आखिरी यूपी में क्यों जरूरी है यूपीकोका:
योगी सरकार के कार्यकाल के डीजीपी रहे सुलखान सिंह का कहना है कि- ‘यूपीकोका संगठित अपराध कानून होता उसे रोकने के लिए यूपीकोका बनाया जा रहा है. भारत सरकार ने 2001 में संगठित अपराध रोकने के लिए एक ड्राफ्ट बनाकर सभी राज्य सरकारों को भेजा गया था। इसके बाद से यह ड्राफ्ट पेंडिंग रहा.
जो संगठित अपराध करते हैं जैसे शहर में हत्या करना, हत्या का ठेका लेना, नशीली प्रदार्थ गिरोह, बालू-सेंट के माफिया हैं, शराब के इनलीगल ठेका चलाने वाले, मानव तस्करी में लिप्त गिरोह शामिल रहेंगा. इन्हें रोकने के लिए प्रदेश यूपीकोका जरूरी है.