उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये हजारों की संख्या में बिजली कर्मचारियों ने पांच शहरों लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, गोरखपुर और मुरादाबाद में निजीकरण के विरोध में मंगलवार को राजधानी लखनऊ में प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत अभियंताओं और कर्मचारियों ने शक्ति भवन के सामने प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। बिजली कर्मचारियों ने बिजली वितरण व्यवस्था के निजीकरण के विरोध में ये आंदोलन किया। प्रदर्शन के चलते बिजली कार्यालयों में कामकाज नहीं हुए। वसूली सहित बिलिंग आदि कार्य भी ठप रहा। प्रदर्शनकारी हाथों में ‘ऊर्जा मंत्री होश में आओ’ जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने किया निजीकरण
विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के अध्यक्ष रामप्रताप वर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिजली विभाग में 1 साल में कर्मचारियों की एक भी भर्तियां नहीं की। बिजली विभाग में कम कर्मचारियों ने कम संस्था संसाधनों में बेहतर बिजली व्यवस्था दी है। फिर भी सरकार उन जिलों को जहां बिजली व्यवस्था ठीक नहीं है उनका निजीकरण कर रही है जो कि गलत है। अब ऐसे में कर्मचारियों की कमी एवं संसाधनों की कमी को पूरा किए बिना घाटे एवं उपभोक्ताओं को बेहतर बिजली व्यवस्था देने के नाम पर फायदे में रहने वाले जिलों का निजीकरण करने से सरकार की मंशा पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाने की है।
जनता पर पड़ेगा सीधा असर
संगठन के महामंत्री अशोक कुमार ने बताया कि उपभोक्ताओं को विद्युत कनेक्शन देना हो या शत-प्रतिशत राजस्व वसूली हो कर्मचारियों द्वारा पूरी निष्ठा कार्य के साथ करके ऊर्जा क्षेत्र को आगे ले जाने में कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अब ऐसे में सरकार द्वारा बिजली विभाग का निजीकरण करने का एकमात्र कारण सरकार के चहेते पूंजीपतियों को अप्रत्यक्ष तरीके से लाभ पहुंचाने का है। बिजली के निजीकरण का असर जहां बिजली विभाग के कर्मचारियों पर सीधा पड़ेगा वहीं प्रदेश की आम जनता पर इसका असर अप्रत्यक्ष रूप से पड़ने वाला है।
उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ेगा घाटा
उपभोक्ताओं को बिजली विभाग द्वारा जहां बिजली कम से कम 4 रूपये प्रति यूनिट पढ़ती थी वही यह निजी कंपनियों द्वारा कम से कम 7 से 10 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी। जो उपभोक्ता 2 से 3 माह के बाद बिजली का बिल जमा कर पाते थे, निजी कंपनी एक महीना होने पर बिल ना जमा होने पर अगले माह कनेक्शन काट देगी। बिजली विभाग हर साल जो ओटीएस (OTS) देकर उपभोक्ताओं को छूट देता था, निजी कंपनी कोई छूट नहीं देगी। निजीकरण पर हर हालत में उपभोक्ता को ही घाटा उठाना पड़ेगा। निजीकरण के विरोध में संगठन ने एक दिवसीय कार्य बहिष्कार कर विरोध जताया और सरकार को चेताया कि यदि सरकार नहीं मानी तो संगठन हड़ताल पर जाने को बाध्य होगा।