उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 29 जुलाई को एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा होने वाली है, जिसके लिए विभाग की वेबसाइट पर प्रवेश पत्र आ गया है लेकिन विभाग ने इस परीक्षा को लेकर बेरोजगारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. यूपीपीएससी ने अभ्यार्थियों के लिए परीक्षा केन्द्र काफी दूर निर्धारित किये हैं. इसके आधार पर पूर्वी यूपी के अभ्यार्थी पश्चिमी यूपी में परीक्षा देने जायेंगे. गौरतलब बात तो ये है कि विभाग ने विकलांग अभ्यार्थियों को भी रियायत नहीं दी है.
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों की मुश्किलें उप्र लोक सेवा आयोग ने बढ़ा दी हैं. अगले हफ्ते होने वाली एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर विभाग ने बेरोजगार अभ्यर्थियों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है.
UPPSC में एलटी ग्रेड टीचर की भर्ती:
बता दें कि उप्र लोक सेवा आयोग ने 15 मार्च 2018 से एलटी ग्रेट के सहायक शिक्षकोें के 10768 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। जिसमें प्रदेश के लाखों अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है. आयोग ने परीक्षा की तिथि 29 जुलाई घोषित की है। जिसके प्रवेश पत्र वेबसाइट पर शनिवार से डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध हैं।
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पूर्वी UP के अभ्यर्थी वेस्ट यूपी में देंगे परीक्षा:
अभ्यर्थियों ने रविवार प्रवेश पत्र निकालना शुरू किया तो देखा कि उनके परीक्षा केंद्र दूसरे जिलों है. इससे पहले भी परीक्षा केंद्र दूसरे जिलों को बनाया जाता रहा है लेकिन इस बार 500 से 700 किमोमीटर दूर सेंटर बनाये गये. बता दें कि अलीगढ़, आगरा, गाजियाबाद, एटा, कासगंज, हाथरस आदि जिलों के सेंटर पूर्वांचल के मंडल मुख्यालय आए हैं। जिस हिसाब से केंद्र निर्धारित किये गये हैं, उनके आधार पर पूर्वी यूपी के अभ्यर्थी पश्चिमी यूपी में परीक्षा देने जायेंगे. वहीं पश्चिमी अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र इलाहाबाद और वाराणसी पड़ गया.
UPPSC ने दिव्यांगों तक को नही बख़्शा
इस कड़ी में आयोग ने दिव्यांगों के परीक्षा केंद्र में भी कोई रियायत नहीं की. उनके भी सेंटर काफी दूर रखे गये. मेरठ के एक दिव्यांग का ललितपुर में सेंटर बनाया गया. तकरीबन 600 से 800 किमी दूर तक दिव्यांग परीक्षा देने जाएंगे.
नहीं मिल रहे ट्रेनों में रिजर्वेशन:
दूर जिलों में सेंटर देखने के बाद अभ्यर्थियों ने सबसे पहले आवागमन के बारे में सोचा और ट्रेनों में जगह खंगालने लगे. लेकिन इतनी जल्दी और परीक्षा का दिन होने के कारण रिजर्वेशन भी उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण लाखों अभ्यार्थियों के धक्के खाने तक की नौबत आ गयी है. वहीं जो अभ्यार्थी परीक्षा देने के लिए निजी यातायात के वाहनों की व्यवस्था कर रहे हैं उनके जेब का खर्च भी काफी बढ़ गया.