उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की 12 से 17 मार्च की भर्तियों की सीबीआई जांच कराने की अधिसूचना केंद्र सरकार की ओर से जारी की गयी थी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सीबीआई जांच की अधिसूचना को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी है। अपने बचाव में आयोग ने कहा है कि, संवैधानिक संस्था की जांच नहीं कराई जा सकती है। इसी क्रम में बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में लोक सेवा आयोग की चुनौती पर सुनवाई की गयी थी। (UPPSC vacancy scam)

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से माँगा जवाब(UPPSC vacancy scam):

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की 12 से 17 मार्च की भर्तियों की सीबीआई जांच कराने की अधिसूचना केंद्र सरकार की ओर से जारी की गयी थी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सीबीआई जांच की अधिसूचना को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद बुधवार को हाई कोर्ट ने आयोग की आपत्ति पर सुनवाई की थी, सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने आयोग की आपत्ति पर राज्य सरकार से जवाब माँगा है। गौरतलब है कि, आयोग ने सीबीआई जांच की अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें आयोग ने कहा था कि, संवैधानिक संस्था की जांच नहीं कराई जा सकती है।

ज्ञात हो कि, यह पूरा मामला 12 से 17 मार्च तक की भर्तियों को लेकर आयोग और राज्य सरकार आमने-सामने हुए थे, योगी सरकार ने भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए केंद्र से सीबीआई जांच की मांग की थी। हाई कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से पूछा है कि, किन तथ्यों के आधार पर आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच कराई जा रही है, साथ ही क्या आयोग के अध्यक्ष व सदस्य जांच की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दे सकते हैं?

अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी(UPPSC vacancy scam):

लोक सेवा आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच की अधिसूचना पर आयोग और सरकार एक-दूसरे के सामने आ गए हैं, आयोग का कहना है कि, हाई कोर्ट भी संवैधानिक संस्था है, जहाँ महानिबंधक के जरिये याचिका दाखिल की जा सकती है। वहीँ सरकार का कहना है कि, आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों को राज्य सरकार के खिलाफ याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। मामले में अगली सुनवाई आगामी 9 जनवरी को होगी।

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