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UPSSWB की पूर्व अध्यक्ष ने की थी देवरिया शेल्टर होम पर CBI जांच की मांग

यूपी में देवरिया शेल्टर होम में बच्चों के साथ देह व्यापार और मानव तस्करी के कारोबार का खुलासा होने के बाद कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. जांच में जहाँ एक ओर ये पाया गया कि देवरिया शेल्टर होम की साल 2014 में ही मान्यता रद्द की जा चुकी थी, बावजूद इसके न केवल इसका संचालन हो रहा था, बल्कि इस दौरान सार्वजनिक कार्यक्रमों का संचालन कर जिले के डीएम और मंत्री तक को यहाँ निमंत्रित किया गया. वहीं ये भी पता चला कि संरक्षण गृह से 18 लड़कियां भी गायब हैं.

पीएम मोदी को लिखा खत:

अब इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डॉ रूपल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिख कर देवरिया में जिस संस्था द्वारा नारी संरक्षण केंद्र चलाया जा रहा हैं, उसका भ्रष्टाचार उजागर करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

पूर्व अध्यक्ष डॉ रूपल अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश में स्वयंसेवी संस्थाओं (NGO) की विभागीय मिलीभगत से हो रहे भ्रष्टाचार एवं दुराचार को लेकर पीएम मोदी को खत लिखते हुए बताया कि देवरिया नारी संरक्षण गृह का संचालन करने वाली संस्था के भ्रष्टाचार को लखनऊ का उत्तर प्रदेश राज्य कल्याण बोर्ड पहले ही उजागर कर चुका है. इसके लिए संस्था पर सीबीआई जाँच भीं हो रही है.

‘मां विन्ध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवी संस्थान’ भ्रष्टाचार में शामिल: 

बता दें कि देवरिया जिले के “देवरिया नारी संरक्षण गृह” का संचालन “मां विन्ध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवी संस्थान, कर रही है. जो जिले के विन्ध्यवासिनीनगर, कुर्मी टोला, रजला में स्थित है. इसकी अध्यक्षा या संचालिका गिरिजा त्रिपाठी हैं.

गौरतलब बात ये हैं कि उक्त संस्था लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड, द्वारा संचालित  की गई ‘सचल पालना गृह’ में हुए भ्रष्टाचार की सी.बी.आई. जांच में भी सम्मिलित है.

देवरिया के बाद हरदोई शेल्टर होम से भी 19 महिलाएं गायब

जांच की मांग कर रही अध्यक्षा को पद से किया गया था बर्खास्त:

इसके खिलाफ राज्य समाज कल्याण बोर्ड ने पहले भी कई बार दर्जनों पत्र भेज मामलें पर कारवाई करने के लिये अवगत करवाया. डॉ रूपल अग्रवाल ने अपने पद पर आसीन होने के दौरान योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक न पहुँचने के सम्बन्ध में सरकार को अवगत करवाया था और स्वयंसेवी संस्थाओं (NGO) की भूमिका तथा भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में वास्तविकताओं से भी अवगत कराया था.

संगठन की अध्यक्षा डॉ रूपल अग्रवाल ने आरोप लगाया कि जनहित में लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ पहुंचाने के उनके प्रयासों को विफल करते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्षा पद से ही हटा दिया गया.

पूर्व अध्यक्षा रही रूपल अग्रवाल ने पीएम से इस मामलें को संज्ञान में लेते हुए उन्हें कार्यकाल यानी 20 अक्टूबर 2015 से 09 जून 2017 के दौरान पीएम मोदी को प्रेषित सभी खतों से तथ्यों का संज्ञान लेते हुए मामले की जांच सी.बी.आईसे करवाने की अपील की.

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