‘चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल है, जो दि‍ल का हाल है वही दि‍ल्‍ली का हाल है’, ‘देखोगे तो हर मोड़ पे मि‍ल जाएंगी लाशें, ढूंढोगे तो इस शहर में काति‍ल न मि‍लेगा’ जैसी शायरी की वजह से ना केवल हिन्‍दुस्‍तान में बल्कि पूरी दुनिया में तहजीब की इमारत लिखने वाले भारत के मशहूर शायर मलिजादा जाव्रेद मंजूर का शुक्रवार की शाम को निधन हो गया।

लखनऊ यूनि‍वर्सि‍टी के पूर्व प्रोफेसर मलि‍कजादा मंजूर  सत्‍तासी साल के थे और पिछले कई दिनों से हार्ट डि‍जीज से पीड़ि‍त थे। वह अपनी जिन्‍दगी में उर्दू अकादमी के अध्‍यक्ष भी रहे थे। उनके मौत की खबर मिलने के बाद यूपी सरकार के कई मंत्री, राजनेता, साहि‍त्‍यप्रेमी सेलेब्रि‍टी सहि‍त आम लोग उनके घर पहुंचे और उन्‍हें श्रद्धांजलि‍ दी।

मलिकजादा मंजूर का शुक्रवार की दोपहर तबीयत बि‍गड़ने की वजह से रिंग रोड के जगरानी हॉस्‍पि‍टल में भर्ती कराया गया था। वहां दोपहर करीब दो बजे उनका देहावसान हो गया। उनका शव कल्‍याणपुर के सीमांतनगर स्‍थि‍त आवास ले जाया गया।

उनके पार्थिव शरीर को खुर्रमनगर चौराहे के नि‍कट फातमी मस्‍जि‍द के सामने कब्रि‍स्‍तान में सुपूर्दे खाक कर दि‍या गया। उनके परि‍वार में उनकी पत्‍नी, दो बेटे और दो बेटि‍यां हैं।

मलिकजादा मंजूर भले ही अब इस दुनिया को छोड़कर चले गये हो लेकिन उनके विचार उनकी शायरी के रूप में हमेशा जिन्‍दा रहेंगे और इस दुनिया में रहने वाले लोगो को रास्‍ता दिखाते रहेंगे।

 

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें