गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद करने वाले मशहूर शायर अनवर जलालपुरी का मंगलवार सुबह किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ में निधन हो गया। उन्हें चार दिन पहले ब्रेन हैमरेज होने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। उन्होंने आज सुबह 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वह उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिला के रहने वाले थे।
मशहूर शायर अनवर जलालपुरी के नाम के आगे इसलिए जुड़ गया जलालपुरी
बता दें कि अंबेडकर नगर के जलालपुर कस्बे के रहने वाले अनवर अहमद शुरू से ही अपनी प्रतिभा के धनी थे। जलालपुर में उनका पैतृक जन्म स्थल होने के कारण उन्होंने अपने नाम के आगे जलालपुरी नाम जोड़ा। ताकि उनके साथ उनके कस्बे का भी नाम रोशन रहे। अनवार अहमद की शुरू से ही तुलनात्मक अध्ययन में खासी दिलचस्पी रही है। दशकों से पूरे हिंदुस्तान और खाड़ी देशों में भी वे मुशायरों के संचालन के लिए जाने जाते हैं। शायरी में अनवर जलालपुरी नाम अख्तियार करने वाली इस शख्सियत को पिछली सपा सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल यश भारती पुरस्कार से नवाजा था।
पत्नी का भी इस काम में था अहम योगदान
अनवर जलालपुरी की पहचान ने नई शक्ल उस समय ली जब उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को उर्दू शायरी में उतारने का मुश्किल काम किया। उनकी अर्धांगिनी 65 वर्षीया आलिमा खातून चार साल तक चले इस उपक्रम की कदम-कदम की गवाह हैं। रात-रात भर जगकर एक-एक लफ्ज, मिसरे और शेर को सुनकर पहली श्रोता के रूप में यथास्थान उन्होंने तब्दीली भी कराई। उन्होंने उमर खय्याम की 72 रुबाइयों और टैगोर की गीतांजलि का भी इतनी ही आसान जबान में अनुवाद पेश कर दिया। लेकिन फिलहाल वे गीता के अलावा और किसी पहलू पर बात करने को तैयार नहीं।
हिंदू धर्म की किताबें भी पढऩी चाहिए ये थी सोच
मशहूर शायर अनवर जलालपुरी ने बीए में फॉर्म भरते वक्त अंग्रेजी, उर्दू और अरबी लिटरेचर भर दिया था। यानी अंदर कहीं स्वभाव में यह बात बैठी हुई थी। उन्होंने एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कहा था कि इस्लाम को पढ़ा तो सोचा कि हिंदू धर्म की किताबें भी पढऩी चाहिए। तो गीता, रामचरितमानस और उपनिषदों के कुछ हिस्से पढ़े। गीता पढ़ते वक्त लगा कि इसमें बहुत-सी बातें ऐसी हैं जो कुरान और पैगंबर के हदीसों में भी हैं। पिछले 150 वर्ष में गीता के 24 तर्जुमे हुए हैं, पर वो जमाना पर्शियनाइज्ड उर्दू का था। मुश्किल से 8-10 किताबें मिल पाईं। सोचा क्यों न मैं इसे जन सामान्य की भाषा में ढाल दूं। लगा कि आसान जबान में इसे हिंदू और मुसलमान, दोनों को पढ़वाया जा सकता है।
बाथरूम में गिरने से हुए थे चोटिल
मशहूर शायर अनवर जलालपुरी अपने बाथरूम में गिरने के बाद से गंभीर रूप से घायल हो गये थे। बाथरुम का दरवाजा तोड़ कर उन्हें बाहर निकालने के बाद परिजनों ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां चिकित्सकों ने उनके दिमाग में खून के थक्के, रक्तस्त्राव पाए जाने के बाद उन्हें केजीएमयू रेफर कर दिया था। लखनऊ के हुसैनगंज निवासी उर्दू शायर अनवर जलालपुरी के निधन से साहित्य जगत में शोक है। उनके घर पर देखने वालों का तांता लगा हुआ है। जो भी उनकी मौत की खबर सुन रहा है वह गमगीन हो जा रहा है।