हमारेे देश केे अधिकांंश लोगो की विचारधारा महिलाओं के लेकर बेहद सर्कीण है। ना केवल सड़को पर बल्कि अपने घर के अन्दर भी महिलाओं के अन्दर असुरक्षा की भावना पैदा होने लगी हैंं। वैसे तो इस देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा करने की परम्परा रही है लेकिन ये इस देश की विडम्बना ही कही जा सकती है कि जहां एक तरफ यहां के लोग देवी की पूजा करते है तो दूसरी तरफ अपनी ही बच्ची की पैदा होते ही हत्या कर देते हैंं। एक तरफ लोग दुर्गा से शक्ति की कामना करते है तो दूूसरी तरफ महिलाओं केे अधिकारो को छीनकर उन्हें शक्तिहीन कर देते हैंं।
भारतीय समाज महिलाओं को भले ही बेहद कमजाेेर करने में लगा हो लेकिन इसी समाज में कुुछ ऐसी महिलाऐं भी है जो जिन्होने ना केवल खुद को सशक्त किया है बल्कि वो अपने जैसी तमाम महिलाओं को भी सशक्त करने में लगी हुई हैंं। इन्ही महिलाओं में से एक नाम ऊषा विश्वकर्मा का भी है। ऊषा विश्वकर्मा आजकल लड़़कियों को सेल्फ डिफेंस सिखाने में लगी हुई हैंं। उन्होंंने महिला उत्पीड़न के खिलाफ एक संंस्था भी खड़ी की है जिसका नाम रेड ब्रिगेड है।
आज भले ही ऊषा विश्वकर्मा महिलाओं को जुल्म के खिलाफ लड़ने का हौसला देती हो लेकिन उन्होने भी अपनी जिन्दगी में ऐसा वक्त देखा है जब वो अपनी जिन्दगी से हार मानने की कगार पर पहुंच चुकी थी। जब वो महज 18 साल की थी तो कुछ उनके साथी टीचर ने उनके साथ रेप करने की कोशिश की थी।
इस घटना ने ऊषा को बुरी तरह तोड़ दिया था। इस वक्त वो महज 18 साल की थी। उन्होंने इस बात की शिकायत अपने इंस्टीट्यूट में जरूर की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। अपने साथ होने वाले इस तरह के अन्याय की वजह से ऊषा अंदर ही अंदर घुटने लगीं और डिप्रेशन में चली गईं थी।
इस घटना के बाद ऊषा ने ठान लिया था कि जो उनके साथ हुआ वो किसी और महिला के साथ वो नहीं होने देंगी। आज उनकी संंस्था से सैकड़ो महिलाओं ट्रेनिग लेकर अपने आपको इस काबिल बना रही है कि अपने सामने आने वाली मुसीबतो का डटकर सामना कर पाये।