क्या जीवन भर साथ निभाने वाली पत्नी का बीमारी में इलाज कराने की सजा एक सिपाही को ऐसी मिलेगी? यह कभी सोचा नहीं होगा। यह सुनकर आप को थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा लेकिन यह बात सच है। ऐसी ही एक घटना रामपुर जिले में रहने वाले यूपी पुलिस के एक सिपाही के साथ घटी है। इस सिपाही को अपनी पत्नी का इलाज कराना महंगा पड़ गया। उसे विभाग ने न सिर्फ तीन साल की सजा दी बल्कि उसको नौकरी से भी बर्खास्त कर दिया गया। अब सिपाही का परिवार भुखमरी की कगार पर है लेकिन जिम्मेदार प्रशासन के अधिकारियों ने शासन ही नहीं कोर्ट को भी गुमराह करके सिपाही को बहाल नहीं होने दिया।

यह है पूरा मामला

  • रामपुर जिले के शाहाबाद थाना क्षेत्र के भगवतीपुर गांव में रहने वाले सुरेश बाबू शर्मा 1979 बैच के यूपी पुलिस के कांस्टेबल हैं।
  • उनके परिवार में वर्तमान समय में बच्चों सहित पांच लोग हैं।
  • सुरेश के मुताबिक साल 1987 में उनकी पत्नी मीरा शर्मा काफी बीमार हो गई तो उन्होंने 7 दिनों का अवकाश लिया था।
  • लेकिन इस दौरान उनकी पत्नी की हालत और गंभीर हो गई इसके चलते उन्हें 14 महीने ड्यूटी से गैरहाजिर रहना पड़ा।
  • इसकी जानकारी भी उन्होंने पुलिस अधिकारियों को दे दी थी।
  • आरोप है तीन साल तक ड्यूटी पर न रहने के दौरान अधिकारियों ने जीवन निर्वहन भत्ता भी नहीं दिया।

सीओ ने माफीनामा लिखवाकर ड्यूटी पर था बुलाया

  • इस घटना के बाद तत्कालीन क्षेत्राधिकारी अजीत सिंह ने सिपाही का 14 महीने का बिना वेतन अवकाश।
  • एक अगले प्रमोशन पर रोक लगाने तथा आगे भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न दोहराने पर सख्त विभागीय कार्रवाई करके गैर हाजिर रहने के लिए लिखित माफीनामा लेकर ड्यूटी पर बुलाया था।
  • इसके बाद पीड़ित सिपाही ने 8 माह तक ड्यूटी भी की।
  • लेकिन बाद में  नये क्षेत्राधिकारी ने 14 माह गैर हाजिर रहने के कारण फाइल देख उन्हें बर्खास्त करवा दिया।

तीन साल की सजा के बाद बर्खास्तगी से सदमें में सिपाही

  • हलाकि इस दौरान सिपाही ने डीआईजी रेंज बरेली, डीजीपी कार्यालय तक समय के भीतर अपना पक्ष रखने के लिए प्रार्थना पत्र दिए।
  • लेकिन जिम्मेदार अधिकारी लगातार बड़े अधिकारियों को गुमराह करते रहे।
  • पीड़ित ने इलाहबाद कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित के वकील को धमकाकर मनमाना हलफनामा दाखिल करा दिया।
  • पीड़ित ने बताया उसने मुख्यमंत्री, राज्यपाल तक से नौकरी पर लेने की गुजारिश की।
  • वहां से डीजी कार्यालय से रिपोर्ट मांगी गई लेकिन अधिकारियों ने गुमराह कर दिया।
  • अब उसका परिवार भुखमरी की कगार पर है वह 25 साल से ज्यादा समय से बर्खास्त है।
  • अब पीड़ित का बीटा अंकित सिंह कई अधिकारियों और शाशन को पत्र लिखकर पिता को मिली सजा की माफी मांग न्याय की गुहार लगा रहा है।
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