यूपी की राजनीति में एक बार फिर माहौल गर्म होने वाला है. फिर एक बार पक्ष और विपक्ष यूपी की सरज़मी पर एक साथ आने वाले हैं. ख़ास कर ये एक महिना यूपी में सियासी तूफान लेकर आएगा. जहाँ एक ओर मौसम में गर्मी बढ़ रही है, वही दूसरी ओर राजनीति का पारा भी चढ़ने वाला है. यूपी में आने वाले कुछ दिन सियासी तूफ़ान लाने वाले है क्योंकि कई बड़ी राजनीतिक हस्तियाँ यहाँ आने वाली हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश और बसपा सुप्रीमों मायावती सहित कई राजनेता सुर्ख़ियों में नजर आने वाले हैं.
अमित शाह दौरे से पहले मुख्यमंत्री योगी को किया दिल्ली तलब:
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केसव प्रसाद मौर्य और यूपी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्रनाथ पाण्डेय को अचानक दिल्ली बुलवाया गया.
- तीनों नेताओ की होगी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाक़ात.
- गौरतलब है कि अब तक यूपी के 3 दलित सांसद मुख्यमंत्री की शिकायत प्रधानमन्त्री से खत्म के जरिये कर चुके है.
- इस मुलाक़ात के बाद किसी अप्रत्याशित फैसले की सम्भावना है.
- बता दे की मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच भी कुछ ठनाठनी चल रही है.
- यूपी में बढ़ती परेशानियों को सुलझाने में नाकाम हो गये प्रदेश प्रशासन.
- संगठन मंत्री सुनील बंसल से भी नाराज है पार्टी के नेता और कार्यकर्ता .
राजनाथ और शाह होंगे लखनऊ में:
- बता दे कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह जल्द ही अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ में दो दिन के दौरे पर आ रहे हैं.
- राजनाथ लखनऊ में 8 और 9 अप्रैल तक रहेंगे.
- इस बीच उनके भाजपा सांसदों और कार्यकर्ताओ से मिलने की भी चर्चा है.
- वही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भी लखनऊ आने की सूचना है.
- अमित शाह 10 से 11 अप्रैल में यूपी आने वाले हैं.
- अमित शाह के लखनऊ आने को लेकर कई कयास लगाये जा रहे हैं.
- राजनाथ सिंह के बाद अमित शाह का लखनऊ आना विपक्ष के लिए भी हलचल पैदा करने जैसा है.
- शाह यहाँ बीते दिनों योगी सरकार से रुष्ट हो रहे दलित विधायकों से मिल सकते हैं.
- अमित शाह के इस दौरे को अंदर ही अंदर टूट रही भाजपा को जोड़ने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
बाबा साहब की जयंती पर सपा बसपा और भाजपा में टक्कर:
- बहरहाल दूसरा भी एक कारण साफ़ दिखाई दे रहा है.
- सपा बसपा के गठबंधन के बाद यह पहला मौका है, जब दोनों पार्टी मिल कर बड़े स्तर पर कोई कार्यक्रम करने जा रही हैं.
- 14 अप्रैल को बाबा साहेब की जयंती है, जिसे इस बार अखिलेश यादव बेहद शानदार तरीके से मनाने जा रहे हैं.
- माया और अखिलेश के इस गठबंधन का असर विपक्ष पर भी पड़ रहा है, चाहे वो माने या ना माने.
- इसे भाजपा के लिए राजनीतिक चुनौती के रूप में देख सकते हैं.
- शायद यही कारण है कि बीजेपी के आला दर्जे के बड़े नेता यूपी की राजनीति में कभी भी अलसा नही पाते.
- भारत बंद और दलितों के मुद्दे पर बेकफुट पर आई बीजेपी की भी आम्बेडकर जयंती पर नज़र है.
- भाजपा ने आम्बेडकर जयंती की जिम्मेदारी विस्तारों को दी है.
- यह बाबा साहेब और भाजपा के कामों की जानकारी आम लोगों तक पहुचाएंगे.
हो सकता है मंत्रीमंडल में फेरबदल:
- इसी उठापटक के बीच यूपी की राजनीति में एक सुगबुगाहट और सुनने को मिल रही है.
- अमित शाह के दौरे के बाद योगी केबिनेट में फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं.
- योगी सरकार के मंत्रीमंडल में बदलाव की खबरें 2 महीने पहले से थी, पर सरकार के 1 साल खत्म होने का था इंतज़ार.
- किसी मंत्री को हटाया जा सकता है, तो किसी का विभाग बदला जा सकता है.
- इसके अलावा नये चेहरों के भी शामिल होने की सम्भावना है.
- कुछ मंत्रियों को प्रमोट किये जाने की भी आशंका है.
- योगी मंत्री मंडल में विस्तार की भी संभावनाए हैं.
स्मृति ईरानी और राहुल होंगे अमेठी में :
- इतना ही नही, इसे भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना कहें, या कांग्रेस को उन्हीं के गढ़ में पछाड़ने की रणनीति जिसके चलते स्मृति इरानी भी 2 दिन के अमेठी दौरे पर रहेंगी.
- स्मृति कांग्रेस की जड़ें कमजोर करने और आगामी चुनाव में भाजपा को अमेठी में जीत दिलवाने की सोची समझी रणनीति के तहत वहां पहुंचेंगी.
- स्मृति यहाँ जन सभाएं कर सकती हैं.
- क्षेत्र में भाजपा की स्थिति आंकने के लिए और कांग्रेस से असंतुष्ट जनता को भाजपा की ओर आकर्षित करने की दिशा में प्रयास करेंगी.
- वहीं राहुल गाँधी भी भाजपा की इस रणनीति को विफल करने के उद्देश्य से अमेठी जायेंगे.
- राहुल के 16 और 17 अप्रैल में अमेठी जाने की खबर है.
- इसके अलावा राहुल के सपा अध्यक्ष अखिलेश से मिलने की भी चर्चा है.
- कुछ दिनों से अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल के बीच सब कुछ ठीक होने की खबरे भी हैं.
- माना जा रहा है कि राहुल गाँधी ने ही चाचा भतीजे में सुलाह करवाई है.
- अगर इसे सच माने तो विपक्ष आंतरिक और बाहरी दोनों आधार पर एक हो सकता है. और इससे भाजपा को बड़ा नुकसान होगा.
- शायद इसीलिए भाजपा में खलबली होने लगी है और वे उत्तर प्रदेश की सियासत में विपक्षियों से पिछड़ना नही चाहते.
एमएलसी चुनाव में बिछायेंगी पार्टियाँ बिसात:
- गौरतलब है कि 26 अप्रैल को एमएलसी के चुनाव भी प्रस्तावित हैं.
- विधान परिषद के 13 विधायकों का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो रहा है. इसमें अखिलेश यादव कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं.
- विधान परिषद की एक सीट के लिए 29 विधायकों के मत की जरूरत है.
- भाजपा के पास 324 विधायक है, जबकि भाजपा के 11 उमीदवारों के लिए 319 विधायकों के वोट पर्याप्त हैं.
- बाकि बची 2 सीटो के लिए बसपा, सपा और कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं.
फिलहाल यह तो साफ़ है कि मौसमी आंधी-तूफ़ान के बाद सियासी तूफ़ान भी अपने उफान पर है. इतने सारे नेता जब इस तरह यूपी में डेरा जमायेंगे तो कुछ ना कुछ गर्मागर्मी स्वाभाविक है.