यूपी: सरकारी स्कूलों में शौचालय से जुड़ा एक अजीबोगरीब वाकया सामना आया है। इसकी पड़ताल करने के बाद ये पाया गया कि स्कूल में शिक्षिकाएं पानी नहीं पी रही हैं केवल इस डर से कि उन्हें शौच के लिए न जाना पड़े।

चौंकिए मत! ये एक ऐसा सच है जिसको सुनकर अन्दाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर सरकारी स्कूल में शौचालय न होने के कारण वहां पढ़ाने वाली शिक्षिकाएं दिक्कतों का सामना करती हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के दो दर्जन स्कूलों में कार्यरत शिक्षिकाएं अपनी तबियत की परवाह किये बिना बच्चों का भविष्य संवार रही हैं लेकिन इसका दुसरा पहलु ये भी है कि इस गर्मी में शरीर में पानी की कमी उन्हें बीमार बना रही है।

  • पानी की कमी के कारण डिहाइड्रेशन का शिकार हो रही हैं शिक्षिकाएं
  • ज्यादा देर तक लघुशंका रोकने से किडनी में इंफेक्शन के मामले भी सामने आ रहे हैं।

बालिकाओं को पीरियड के दौरान ‘आशा’ के माध्यम से मुफ्त में सेनेटरी नैपकिन बांटने का दावा करने वाली सरकारें स्कूलों में शौचालय तक नहीं बनवा पा रही हैं।

केंद्र सरकार की योजना में प्रत्येक सरकारी स्कूलों में शौचालय अनिवार्य है और जहाँ-जहाँ अभी शौचालय नहीं बन पाया है वहां पर शौचालय बनवाने का दावा किया जाता रहा है। इस बाबत , केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से रिपोर्ट भी ली और उसपर काम करने के लिए सांसदों को उचित निर्देश भी दिए गए।

तमाम योजनाओं की तरह सरकारी स्कूलों में शौचालय बनवाने की योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही है, जिसपर ना जनता के नुमाइंदों की नजर है और बेसिक शिक्षा परिषद की।

 

 

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