कैराना और नूरपुर के उपचुनावों में विपक्षी एकता के कारण मिली जीत से सभी दल उत्साहित हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए सपा और बसपा के गठबंधन में कई अन्य छोटे दलों ने भी शामिल होने की इच्छा जताई है लेकिन इन छोटे दलों के गठबंधन में शामिल होने से सीट बंटवारा इतना आसान नहीं होगा। लेकिन अब इसका भी समाधान निकलता हुआ दिखाई दे रहा है। अगर यही फार्मूला सपा और बसपा के गठबंधन पर भी लागू किया गया तो परिणाम काफी हैरान कर देने वाले होंगे।
मायावती ने सुझाया फार्मूला :
2019 के लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले महागठबंधन को लेकर शुरुआती बातचीत में सीटों के बंटवारे का फार्मूला मायावती की तरफ से रखा गया। सूत्रों के अनुसार, बहुजन समाज पार्टी इसी फार्मूले के आधार पर उन सीटों पर दावेदारी कर रही है जिसमें साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह दूसरे पायदान पर रही थी। अगर यही फार्मूला फाइनल हो गया तो बसपा के हिस्से में करीब 36 सीटें आएंगी और सपा को 34 सीटें मिलेंगी। इसके बाद बचने वाली 10 सीटों को गठबंधन में शामिल अन्य छोटी पार्टियों में बाँटे जाने पर मंथन चल रहा है। हालाँकि गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल को भी शामिल किया जा सकता है। ऐसे में उन्हें भी कुछ सीट दी जा सकती है।
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छोटी पार्टियों के समर्थन से मिली जीत :
कैराना के उपचुनाव में छोटी पार्टियों ने एकजुट होकर बीजेपी को हराया था, उसके बाद विपक्ष की एकता सबके सामने आ चुकी है। यही कारण है कि सपा-बसपा गठबंधन में छोटी पार्टियों के लिए सीटें छोड़ने पर विचार किया जा रहा है। साथ ही लोकसभा चुनाव में अपने क्षेत्र में जातीय आधार पर बेहतर जनाधार वाली पार्टी को भी साथ लिए जाने पर विचार हो रहा है। इन क्षेत्रीय पार्टियों को जातीय आधार के साथ अगर सपा-बसपा का सपोर्ट मिल जाएगा तो इनके लिए सीट निकालने में काफी आसानी होगी। गठबंधन में छोटी-छोटी पार्टियों के लिए सीटें छोड़ने की प्लानिंग चल रही है। हालाँकि अभी तक सपा और बसपा की तरफ से इस मामले में कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है।