वाराणसी : लक्खा मेले ( Lakkha Fair ) में शुमार विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप परम्परागत तरीके से सम्पन्न
भाइयों से मिलकर प्रभु श्री राम के आँखों से छलके आंसू
वाराणसी।
लक्खा मेले ( Lakkha Fair ) में कहते है बाबा भोले की नगरी काशी में सात वार और तेरह त्यौहार की मान्यता प्रचलित है। कहते है कि यहां साल के दिनों से ज्यादा पर्व मनाया जाता है। नवरात्र पर्व और दशहरा के रावण दहन के ठीक दूसरे दिन यहां काशी मे विश्व प्रसिद्द भरत मिलाप का उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव पूरे धूम-धाम से मनाया जाता है। बता दे कि पिछले 2 वर्षों में कोरोना काल के चलते यह लीला नही हुई थी।
लीला स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए कई थानों की फोर्स के साथ QRT और PAC के जवान लगाए गए थे। ट्रैफिक पुलिसकर्मी ड्रोन कैमरे के साथ मुस्तैद थे।
लक्खा मेले ( Lakkha Fair ) में शुमार है यह नाटी इमली का विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप
लक्खा मेले में शुमार विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली के भरत मिलाप का आयोजन आज सम्पन्न हुआ। बताया जाता है कि यह 478 वर्षों से अधिक चली आ रही यह पुरानी परंपरा है। इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए देश ही नही विदेशों से भी लोग आते है। यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुचते है। लेकिन बीते दो सालों में कोविड के चलते यह सांकेतिक रूप से किया जा रहा था।
जय श्री राम के नारों से गुंजा पूरा क्षेत्र
शाम को करीब 4 बजकर 44 मिनट पर जैसे ही अस्ताचलगामी सूर्या की किरणें भरत मिलाप मैदान के एक निश्चित स्थान पर पड़ीं, ऐसा लगा पूरा समां थम सा गया। एक तरफ भरत और शत्रुघ्न अपने भाईयों के स्वागत के लिए जमीन पर लेट जाते हैं तो दूसरी तरफ राम और लक्ष्मण वनवास खत्म करके उनकी और दौड़ पड़ते हैं। चारो भाईयों के मिलन के बाद जय जयकार शुरू हो जाती है। पूरा लीला स्थल राजा राम चंद्र की जय के घोष से गूंज उठा।
परंपरा का निर्वहन करते हुए प्रभु श्रीराम का पुष्पक विमान यादव बंधुओं ने अपने कंधों पर उठा लिया और मैदान के चारों तरफ घुमाया और अयोध्या की तरफ रवाना हो गए। भगवान स्वरुप पात्रों के बीच वे अपने आपको पाकर धन्य महसूस करते हैं।
Report – Vivek Pandey